असीमा चटर्जी

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असीमा चटर्जी
অসীমা চট্টোপাধ্যায়
असीमा चटर्जी
असीमा चटर्जी
जन्म 23 September 1917
कोलकाता, बंगाल, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 22 November 2006(2006-11-22) (उम्र साँचा:age)
कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
क्षेत्र कार्बनिक रासायनिकी, फायटोचिकित्सा
संस्थान कोलकाता विश्वविद्यालय
शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय

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असीमा चटर्जी (साँचा:lang-bn)(२३ सितम्बर १९१७- २२ नवम्बर २००६) एक भारतीय रसायनशास्त्री थीं। उन्होंने जैवरसायन विज्ञान और फाइटोमेडिसिन के क्षेत्र में काम किया।[१] उनके सबसे उल्लेखनीय कार्य में विन्सा एल्कालोड्स पर शोध शामिल है। उन्होने मिर्जिलेट-रोधी तथा मलेरिया-रोधी औषधियों का विकास। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के औषधीय पौधों पर काफी मात्रा में काम किया।

सन १९७५ में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

जीवनी

प्रारंभिक जीवन

असीमा चटर्जी (पूर्व मुकर्जी)[२] का जन्म २३ सितम्बर १९१७ को बंगाल में हुआ था। वो एक उत्कृष्ट छात्रा थीं, चटर्जी कोलकाता में बड़ी हुईं और स्कूल की शिक्षा के बाद में कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला लिया, १९३६ में रसायन विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की।[३][४]

शैक्षणिक कार्य

असीमा चटर्जी ने १९३८ में कलकत्ता विश्वविद्यालय से जैव-रसायन विज्ञान में मास्टर की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और उन्होंने १९४४ में डॉक्टरेट की डिग्री पूरी की।[५] उन्होंने पौध उत्पादों और कृत्रिम जैविक रसायन विज्ञान के रसायन विज्ञान के विषय पर अपना डॉक्टरेट अनुसंधान ध्यान केंद्रित किया। चटर्जी ने अपने शोध को प्राकृतिक उत्पादों के रसायन विज्ञान के आसपास केंद्रित किया और इसके परिणामस्वरूप मलेरियारोधी और कीमोथेरेपी दवाओं का परिणाम हुआ।[६]

व्यवसाय

वह रसायन विज्ञान विभाग के संस्थापक प्रमुख के रूप में १९४० में कलकत्ता विश्वविद्यालय के लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में नियुक्त हुईं। चटर्जी किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ साइंस प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं।

पुरस्कार और सम्मान

  • वह कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रेमचंद रॉयचंद स्कॉलर थीं।[४]
  • जानकी अम्माल के बाद वे दूसरी महिला थीं, जिन्हें डॉक्टरेट ऑफ साइंस (DSc) प्रदान किया गया था। (१९४४ में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा)[१]
  • फरवरी १९८२ से मई १९९० तक उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया गया था।[१]

सन्दर्भ

  1. The Shaping of Indian Science. p. 1036. Indian Science Congress Association, Presidential Addresses By Indian Science Congress Association. Published by Orient Blackswan, 2003. ISBN 978-81-7371-433-7
  2. Mention of the maiden name
  3. Some Alumni of Scottish Church College in 175th Year Commemoration Volume Scottish Church College, 2008, p. 584
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