अपह्नुतिअलंकार
(अपन्हुति अलंकार से अनुप्रेषित)
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जहां उपमेय (संज्ञा) का निषेध करके उपमान (सर्वनाम) की स्थापना की जाए, वहां अपह्नुति अलंकार होता है। यथा- मैं जो कहा रघुवीर कृपाला। बंधु न होइ मोर यह काला।। यहां भाई को भाई न कहकर काल शब्द पर विशेष बल दिया गया है। अतः यहां अपह्नुति अलंकार है।
अन्य उदाहरण- नेत्र नहीं पद्म (नील कमल) हैं। रस्सी नहीं सर्प है।
इस प्रकार ऐसे अलंकरणों से सज्जित छंदादि अपह्नुति अलंकार के अन्दर आते हैं।