अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान (जे. एन. यू.)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

साँचा:ambox

अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान
School of International Studies

स्थापना:1955
प्रकार:सार्वजनिक
संबद्ध:जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, यूजीसी
स्थिति:नई दिल्ली, भारत
परिसर:शहरी
जालस्थल:www.jnu.ac.in

अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान (साँचा:lang-en) जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय का सबसे पुराना संस्थान है। इतने लम्बे समय से अन्तरराष्‍ट्रीय संबंधों और क्षेत्रीय अध्ययन के शिक्षण एवं शोध में संलग्न इस संस्थान ने अपने आपको पूरे देश में एक अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित किया है। संस्थान ने भारत में अन्तरराष्‍ट्रीय सम्बन्धों का अध्ययन एक शैक्षिक विषय के रूप में विकसित करने और अन्तरराष्‍ट्रीय मामलों के ज्ञान एवं समझ को अन्तरविषयक परिप्रेक्ष्य में उन्नत करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यह 'क्षेत्रीय अध्ययन' को उन्नत करने तथा विश्‍व के विभिन्न देशों एवं क्षेत्रों में सुविज्ञता विकसित करने वाला देश में पहला संस्थान है। संस्थान ने उच्च शिक्षा केंद्र के रूप में भी अन्तरराष्‍ट्रीय ख्याति हासिल की है।[१]

स्वतंत्रता प्राप्‍ति के तुरन्त बाद के वर्षों में इस तरह के संस्थान की आवश्यकता महसूस की गई थी। उस समय देश भर में विदेशी मामलों से सम्बन्धित केवल एक ही संस्थान - विश्‍व मामलों की भारतीय परिषद् - ने भारत में अन्तरराष्‍ट्रीय मामलों का अध्ययन शुरू करने की बात को समझा। पूरे विश्‍व में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में हो रहे विकास को समझने के लिए युवा वर्ग को प्रशिक्षित करना ज़रूरी था। पंडित हृदयनाथ कुंजरू की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों पर अक्टूबर 1955 में इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की स्थापना हुई और डॉ॰ ए. अप्पादुरई इस संस्थान के पहले निदेशक नियुक्‍त हुए।

शुरू में यह संस्थान दिल्ली विश्‍वविद्यालय से सम्बद्ध था। वर्ष 1961 से लेकर जून 1970 में जेएनयू का एक हिस्सा बनने तक इस संस्थान ने सम-विश्‍वविद्यालय के रूप में कार्य किया। जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय का हिस्सा बनने के बाद इसके नाम से 'इंडियन` हटाकर इसे "अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान" नाम दिया गया और फिर यह जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय का एक संस्थान बन गया।

लम्बे समय तक संस्थान के शैक्षिक कार्यक्रम केवल शोध पर आधारित रहे और संस्थान केवल पी-एच.डी. उपाधि प्रदान करता रहा। संस्थान के जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय से जुड़ने के शीघ्र बाद ही वर्ष 1971-72 में एम.फिल. पाठ्यक्रम शुरू किया गया। इसके बाद वर्ष 1973-74 में संस्थान ने दो वर्षीय एम.ए. (राजनीति : अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन) पाठ्यक्रम शुरू किया। वर्ष 1995-96 में संस्थान के अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार और विकास केंद्र के अर्थशास्त्र प्रभाग द्वारा अर्थशास्त्र में एक नया और अद्वितीय एम.ए. (विश्‍व अर्थशास्त्र में विशेषीकरण के साथ) पाठ्यक्रम शुरू किया गया।

संस्थान के एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रमों के अनेक छात्र विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग की अध्येतावृत्ति प्राप्‍त करने के लिए लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं। इसके अतिरिक्‍त, सभी राज्य सरकारों ने एक-एक अध्येतावृत्ति (कुछ मामलों में एक से अधिक) संबंधित राज्यों के 'निवासी` होने की शर्तों को पूरा करने वाले छात्रों के लिए शुरू की हैं।

संस्थान के शिक्षकों को अपने-अपने विशेषीकृत क्षेत्रों में सलाहकार के रूप में विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा आमंत्रित किया जाता है। संस्थान समय-समय पर क्षेत्रीय अध्ययन, अन्तर-देशीय सम्बन्धों तथा अन्तरराष्‍ट्रीय सम्बन्धों के अध्ययन से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण पक्षों पर राष्‍ट्रीय तथा अन्तरराष्‍ट्रीय संगोष्‍ठियाँ आयोजित करता है।

संस्थान प्रत्येक वर्ष समसामयिक अन्तरराष्‍ट्रीय सम्बन्धों से जुड़े विषयों पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन करता है, जो वर्ष 1989 में विद्या परिषद् द्वारा लिए गए एक निर्णय के पश्चात् "अन्तरराष्‍ट्रीय सम्बन्धों पर हृदयनाथ कुंजरू स्मारक व्याख्यानमाला" के रूप में जानी जाती है।

संस्थान 'इन्टरनेशनल स्टडीज` नामक एक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन कर रहा है। जुलाई 1959 से प्रकाशित हो रही इस पत्रिका ने एक प्रमुख भारतीय शैक्षणिक पत्रिका के रूप में अन्तरराष्‍ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल की है। इसमें अन्तरराष्‍ट्रीय सम्बन्धों तथा क्षेत्रीय अध्ययनों से सम्बन्धित समसामयिक समस्याओं तथा मामलों पर लिखे मौलिक शोध आलेख प्रकाशित किए जाते हैं। एक सन्दर्भ-पत्रिका होने के नाते इसमें केवल संस्थान तथा अन्य भारतीय विश्‍वविद्यालयों/शोध संस्थानों के शिक्षकों के शोध आलेख ही नहीं अपितु विश्‍वभर के विद्वानों के आलेख भी प्रकाशित होते हैं।

  • संस्थान निम्नलिखित अध्ययन क्षेत्रों में एम.फिल./पी-एच.डी. अध्ययन पाठ्यक्रम चलाता है :-
  1. अमरीकी अध्ययन
  2. लैटिन अमरीकी अध्ययन
  3. कनाडियन अध्ययन
  4. यूरोपीय अध्ययन
  5. अन्तरराष्‍ट्रीय विधि अध्ययन
  6. अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार एवं विकास।
  7. चीनी अध्ययन
  8. जापानी और कोरियाई अध्ययन
  9. अन्तरराष्‍ट्रीय राजनीति
  10. अन्तरराष्‍ट्रीय संगठन
  11. राजनयिक अध्ययन
  12. निरस्त्रीकरण अध्ययन
  13. राजनीतिक भूगोल
  14. रूसी और मध्य एशियाई अध्ययन
  15. दक्षिण एशियाई अध्ययन
  16. दक्षिण-पूर्व एशियाई और दक्षिण-पश्‍चिम महासागरीय अध्ययन।
  17. मध्य एशियाई अध्ययन।
  18. पश्‍चिमी एशियाई और उत्तरी अफ्रीकी अध्ययन।
  19. सब-सहारीय अफ्रीका अध्ययन।
  20. राजनीतिक सिद्धांत और तुलनात्मक राजनीति ग्रुप।
  • संस्थान के शिक्षण/शोध कार्यक्रम 9 केंद्रों में चलाए जाते हैं। प्रत्येक केंद्र में दो-तीन या चार पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। संस्थान के पाठ्यक्रमों में पूरे विश्‍व के भौगोलिक क्षेत्रों तथा अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययन के व्यावहारिक पक्षों पर शिक्षण एवं शोध कराया जाता है। ये केंद्र हैं : -
  1. कनाडियन, यू॰एस॰ और लैटिन अमरीकी अध्ययन केंद्र।
  2. अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार और विकास केंद्र।
  3. पूर्वी एशियाई अध्ययन केंद्र।
  4. रूसी और मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र।
  5. अन्तरराष्‍ट्रीय राजनीति, संगठन और निरस्त्रीकरण केंद्र।
  6. दक्षिण, मध्य, दक्षिण-पूर्व एशियाई और दक्षिण-पश्‍चिम महासागरीय अध्ययन केंद्र।
  7. पश्‍चिमी एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र।
  8. अन्तरराष्‍ट्रीय विधि अध्ययन केंद्र।
  9. यूरोपीय अध्ययन केंद्र।

इन केंद्रों के अतिरिक्‍त एक राजनीतिक सिद्धान्त और तुलनात्मक राजनीतिक ग्रुप (अन्तरराष्‍ट्रीय संबंध) भी है।

कनाडियन, यू॰एस॰ और लैटिन अमरीकी अध्ययन केंद्र

केंद्र में तीन स्ट्रीम हैं : (१) कनाडियन अध्ययन; (२) यू॰एस॰ अध्ययन; और (३) अमरीकी अध्ययन। केंद्र कनाडा, यू॰एस॰, लैटिन अमरीकी और कैरेबियाई पर एम.फिल./पी-एच.डी. स्तर पर अन्तरविषयक कोर्स चलाता है। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रम में भी प्रवेश दिया जाता है। केंद्र एम.ए. स्तर के छात्रों के लिए कोर्स भी चलाता है।

अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार और विकास केंद्र

अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार और विकास केंद्र की एक स्वतंत्र केंद्र के रूप में शुरुआत वर्ष 2005 में हुई थी। फिर भी, यह केंद्र आधी शताब्दी से अधिक समय से अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार और विकास प्रभाग के रूप में लोकप्रिय ग्रुप के रूप में जाना जाता रहा है। इस दौरान अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार और विकास केंद्र ने अन्तरराष्‍ट्रीय अर्थशास्त्र और विकास में शिक्षण और शोध में अपने लिए जगह बनाई है। इसमें एम.ए. अर्थशास्त्र (विश्‍व अर्थ व्यवस्था में विशेषीकरण के साथ) और अर्थशास्त्र में व्यापार, विकास, वित्त, बैंकिंग, पर्यावरण नियमन जैसे विशेषीकृत शोध क्षेत्रों में एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रम में भी प्रवेश दिया जाता है। केंद्र के शोध छात्रों ने भारत और विदेशों में शैक्षिक जगत् में अपनी पहचान बनाई है तथा सरकार और अन्तरराष्‍ट्रीय संगठनों में उच्च दायित्व वाले पदों पर विराजमान हैं। अन्तरराष्‍ट्रीय व्यापार और विकास केंद्र शायद देश में पहला अर्थशास्त्र विभाग है, जो अन्तरराष्‍ट्रीय अर्थव्यवस्था के अध्ययन पर विस्तृत रूप से बल देता है।

पूर्वी एशियाई अध्ययन केंद्र

यह केंद्र मूल रूप से चीनी और जापानी अध्ययन के लिए स्थापित किया गया था, लेकिन बाद में इसमें कोरियाई अध्ययन भी शामिल कर लिया गया। केंद्र के शिक्षण और शोध में चीन, जापान और कोरिया के आधुनिक और समकालीन पहलुओं को सम्मिलित किया जाता है। इस समय ये विश्‍व के सबसे गतिशील और महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से हैं। केंद्र का मुख्य उद्‍देश्य संबंधित क्षेत्रों की विदेश नीति, सरकार और राजनीति, समाज और संस्कृति तथा राजनीतिक अर्थव्यवस्था का अन्तर विषयात्मक ज्ञान और जानकारी प्रदान कराना है। केंद्र संबंधित क्षेत्रों में एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाता है। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश दिया जाता है।

अन्तरराष्‍ट्रीय राजनीति, संगठन और निरस्त्रीकरण केंद्र

केंद्र में भिन्न-भिन्न किन्तु परस्पर सम्बद्ध पाँच प्रभाग हैं : - अन्तरराष्‍ट्रीय राजनीति - अन्तरराष्‍ट्रीय संगठन - निरस्त्रीकरण अध्ययन - राजनयिक अध्ययन - राजनीतिक भूगोल

केंद्र संबंधित क्षेत्रों में एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाता है। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश दिया जाता है।

केंद्र का उद्‍गम वर्ष 1955 में स्थापित इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से प्राप्‍त किया जा सकता है। केंद्र मूल रूप से आईएसआईएस के दो अलग-अलग विभागों के रूप में अस्तित्व में आया। प्रारंभ से केंद्र का मुख्य उद्‍देश्य विश्‍व मामलों के क्षेत्र में उभर रहे मुद्‍दों पर शोध गतिविधियाँ चलाना रहा है। हाल ही के वर्षों में अन्तरराष्‍ट्रीय संबंध, वैश्‍वीकरण, संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति प्रक्रिया, अन्तरराष्‍ट्रीय आर्थिक और वित्तीय संगठन, वैश्‍विक अभिशासन, शांति और विवाद समाधान, सैन्य मामलों में परिवर्तन, नाभिकीय निवारण और निरस्त्रीकरण, सतत् विकास और पर्यावरणीय सुरक्षा से सैद्धांतिक दॄष्‍टिकोण जैसे क्षेत्र छात्रों के मुख्य शोध अभिरुचि क्षेत्र रहे हैं।

रूसी और मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र

केंद्र रूसी, मध्य एशियाई और 'सीआईएस' अध्ययन में एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाता है। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रम में भी प्रवेश दिया जाता है। केंद्र नीति निर्धारकों और शैक्षिक समुदाय के साथ घनिष्‍ठता से कार्य करता है। केंद्र भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से संबंधित विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर अध्ययन-अध्यापन वाले विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान करने के लिए संगोष्‍ठियाँ और सम्मेलन आयोजित करता है। केंद्र के उच्चस्तरीय शैक्षिक और शोध कार्यक्रमों को मान्यता प्रदान करते हुए विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसे भारत में रूसी और मध्य एशियाई अध्ययन में उच्च केंद्र का दर्जा प्रदान किया है। केंद्र में शिक्षण और शोध के अन्य क्षेत्र हैं - ट्रांसकाकेशिया और बाल्टिक गणराज्य, यूक्रेन और बेलारूस तथा इन देशों के इतिहास, राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज का अन्तर-विषयक तरीके से अध्ययन किया जाता है।

दक्षिण, मध्य, दक्षिण-पूर्व एशियाई और दक्षिण-पश्‍चिम महासागरीय अध्ययन केंद्र

केंद्र में एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रम में भी प्रवेश दिया जाता है। यह देश में विशेष रूप से चार क्षेत्रों - दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण-पश्‍चिम महासागरीय अध्ययन - में शोध एवं शिक्षण का मुख्य केंद्र रहा है। शैक्षिक विषयों और गतिविधियों में सुरक्षा, इतिहास, राजनीति, समाज, आर्थिक विकास, पर्यावरण, विदेश नीति, क्षेत्रीय सहयोग/एकता और अन्य समकालिक मामलों से संबंधित विवेचनात्मक विषयों का वस्तुपरक अध्ययन और मूल्यांकन शामिल है। केंद्र एम.ए. और एम.फिल. स्तर के छात्रों के लिए कोर्स चलाता है। केंद्र के पास जाने-माने शिक्षक हैं तथा केंद्र में देश-विदेश के लगभग 200 छात्र होते हैं। केंद्र के पास विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा क्षेत्रीय अध्ययन कार्यक्रम के अन्तर्गत वित्त पोषित मध्य एशियाई अध्ययन और पाकिस्तान पर एक विशेष अध्ययन पाठ्यक्रम भी है। ऊर्जा अध्ययन पर एक नया पाठ्यक्रम भी शुरू किया जा रहा है।

पश्‍चिमी एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र

केंद्र में दो प्रभाग हैं - पश्‍चिमी एशियाई और उत्तरी अफ्रीकी प्रभाग तथा उप-सहारीय प्रभाग। विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित दो अध्ययन कार्यक्रम भी हैं। विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के क्षेत्रीय अध्ययन कार्यक्रम के भाग के रूप में केंद्र में वर्ष 1978 में खाड़ी अध्ययन कार्यक्रम स्थापित किया गया। खाड़ी अध्ययन कार्यक्रम में खाड़ी सहयोग परिषद् के देशों - ईरान, इराक़ और यमन पर बल दिया जाता है। विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने क्षेत्रीय अध्ययन कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 2005 में फ्रेंकोफोन उप-सहारीय अध्ययन की स्थापना भी की। केंद्र उप-सहारीय प्रभाग की शोध गतिविधियों में दक्षिण अफ्रीकी, फ्रेंकाफोन देशों और 'इंडियन डायसपोरा` से संबंधित मामलों पर बल देता है। केंद्र में आईसीसीआर और विदेश मंत्रालय के सहयोग से वर्ष 1992 में नेल्सन मंडेला चेयर स्थापित की गई। केंद्र एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाता है। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रम में भी प्रवेश दिया जाता है। केंद्र में एम.ए. स्तर के छात्रों के लिए भी पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। इन पाठ्यक्रमों में संबंधित क्षेत्र की विदेश नीति, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक पद्धतियों को शामिल किया जाता है।

यूरोपीय अध्ययन केंद्र

यह केंद्र बहुविषयक विभाग है, जिसका मुख्य उद्‍देश्य यूरोप तथा इण्डोऱ्यूरोपियन मामलों की समझ बढ़ाने के लिए शिक्षण, शोध और उच्च स्तरीय गतिविधियों में विकसित करने पर बल देना है। अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान में यह एक नया केंद्र है। इसने वर्ष 2005 में कार्य करना शुरू किया है। केंद्र के शिक्षण और शोध क्षेत्रों में यूरोप, द यूरोपियन यूनियन और नए मध्य और पूर्वी यूरोप शामिल हैं। केंद्र एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाता है। इसमें सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रम में भी प्रवेश दिया जाता है।

भारत में यूरोपीय अध्ययन की बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने यूरोपीय अध्ययन केंद्र को अपने क्षेत्रीय अध्ययन कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष सहायता देकर भारत में यूरोपीय अध्ययन के एक उच्च केंद्र के रूप में मान्यता प्रदान की है।

अन्तरराष्‍ट्रीय विधि अध्ययन केंद्र

केंद्र में अन्तरराष्‍ट्रीय विधि, व्यापार विधि, अन्तरराष्‍ट्रीय संगठन विधि, अन्तरराष्‍ट्रीय पर्यावरण विधि, मानवाधिकार विधि और अन्तरराष्‍ट्रीय हवाई और अंतरिक्ष विधि के विशेषज्ञ हैं। केंद्र एम.फिल./ पी-एच.डी. पाठ्यक्रम चलाता है। केंद्र एम.ए. छात्रों के लिए दो कोर पाठ्यक्रम तथा एक ऐच्छिक पाठ्यक्रम भी चलाता है।

एम.ए. राजनीति (अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन)

संस्थान में एम.ए. राजनीति (अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन) पाठ्यक्रम शैक्षिक वर्ष 1973-74 में शुरू किया गया था। इस पाठ्यक्रम को शुरू करने की माँग काफी समय से की जा रही थी। इस पाठ्यक्रम में राजनीतिशास्त्र के मुख्य विषयों के अतिरिक्‍त अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन से संबंधित मुख्य पाठ्यक्रमों के साथ विषयपरक तथा क्षेत्रीय अध्ययन पर आधारित बहुत से ऐच्छिक पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। यह विश्‍वविद्यालय का सर्वाधिक लोकप्रिय तथा विस्तृत स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है।

  • केंद्र के प्रोफेसर हैं :
  1. कमल ए. मित्रा चिनॉय
  2. सुश्री निवेदिता मेनन

राजनीतिक सिद्धान्त और तुलनात्मक राजनीति ग्रुप

राजनीतिक विचारधारा या सिद्धान्त, तुलनात्मक राजनीति या भारतीय राजनीति में सीधे पी-एच.डी. पाठ्यक्रम में प्रवेश देता है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कडियाँ

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।