अनी मान्तो

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

साँचा:asbox अनी मान्तो (Annie Montaut) पेरिस स्थित 'इंस्टिट्युट नेशनल डेस् लान्गूज ओरिएण्टलिस / INALCO) में हिन्दी एवं सामान्य भाषाविज्ञान की प्रोफेसर हैं।

उन्होने हिन्दी का व्याकरण, 'ला लान्गू हिन्दी' (La langue Hindi), Littératures de l’Inde et poétiques plurielles तथा पुरुषार्थ आदि पुस्तकों की रचना की है। उन्होने हिन्दी भाषाविज्ञान, भारतीय भाषाविज्ञान तथा हिन्दी साहित्य के ऊपर वैज्ञानिक जर्नलों में १५० से अधिक शोधपत्र प्रकाशित की हैं। उन्हें भारतीय अनुवाद परिषद द्वारा गार्गी गुप्त अनुवादश्री सम्मान प्रदान किया गया।

परिचय

वे फ्रेंच साहित्य में, उसके समकालीन परिवेश में रसी-बसी है और जिसका फ्रेंच की महान परंपरा से गहरा संबंध है। अनी फ्रेंच और हिंदी के अलावा अंग्रेजी, स्पेनिश और जर्मन जानती हैं: इतालवी और रूसी में उनकी पठन-क्षमता है और उन्होंने बीए तक संस्कृत और फारसी पढ़ी है।

अनी मान्तो ने अकेले आधुनिक हिंदी साहित्य के लिए जितना किया है उतना यूरोप और अमेरिका में शायद किसी और ने नहीं। उन्होंने पश्चिमी ध्यान भारत के ‘इंडोलॉजिकल अतीत’ से हटा कर उसके आधुनिक वर्तमान पर केंद्रित करने की अथक चेष्टा की है। निर्मल वर्मा, कृष्ण बलदेव वैद, बच्चन, नागार्जुन, केदारनाथ सिंह, अलका सरावगी, गीतांजलिश्री आदि की कृतियों के न सिर्फ उन्होंने फ्रेंच अनुवाद किए हैं, बल्कि उन्हें महत्त्वपूर्ण फ्रेंच प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित भी कराया है। दूसरे शब्दों में उन्होंने एक अकादेमिक रहते हुए भी हिंदी साहित्य को अकादेमिक घेरे से बाहर, तथाकथित मुख्य धारा में, जगह दिलाने की कोशिश की है।