भल्लट

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित ०८:३३, १५ जून २०२० का अवतरण (Rescuing 2 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

भल्लट संस्कृत कवि थे। इनकी लिखी एक ही रचना प्राप्त होती है जिसका नाम 'भल्लट शतक' है। इसका प्रकाशन काव्यमाला सिरीज़ के 'काव्यगुच्छ' संख्या दो में हुआ है। मुक्तक पद्यों के इस संग्रह में अन्य अलंकारों की स्थिति होते हुए भी अन्योक्ति की बहुलता है और इस प्रकार की सरस एवं अनूठी अन्योक्तियाँ जिनमें सरसता एवं सरलता के साथ उपदेश या शिक्षा का भी सुंदर पुटपाक हो, संस्कृत साहित्य के विशाल भंडार में भी कम ही प्राप्त होती हैं।

अलंकार शास्त्र के प्रथित आचार्यो ने, जिनमें आनंदवर्धन, अभिनवगुप्त, क्षेमेंद्र, मम्मट आदि हैं इनके पद्यों को उत्तम काव्य के दृष्टांत रूप में बार बार उपस्थित किया है। अपनी कृतियों के माध्यम से विश्व को आह्‌लादित एंव अनुरंजित करनेवाले संस्कृत साहित्य के प्रमुख कवियों की गणना करते हुए इन्हें 'श्रुतिमुकुटधर' कहा गया है।

भल्लट कश्मीर के निवासी थे। इनके संबंध में कुछ ऐसा विवरण प्राप्त नहीं होता जिससे इनके निवास, गुरु एवं पितृपरंपरा तथा राज्याश्रय आदि के संबंध में कुछ जाना जा सके। भल्लट का उल्लेख करनेवालों में आनंदवर्धनाचार्य सबसे पूर्ववर्ती हैं, जिनका समय कश्मीर नरेश अवंतिवर्मा का काल अर्थात्‌ नवीं शताब्दी का मध्य भाग माना जाता है। अत: इस आधार पर भल्लट का समय आठवीं शती का उत्तरार्ध अनुमित है।

बाहरी कड़ियाँ