भारतीय धूसर धनेश
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Indian Grey Hornbill | |
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Male feeding a female at nest (Wagah Border, India) | |
Scientific classification | |
Binomial name | |
Ocyceros birostris (Scopoli, 1786)
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Synonyms | |
Lophoceros birostris |
भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (ऑकीसेरॉस बिरोस्ट्रिस ) एक साधारण हॉर्नबिल है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। यह सर्वाधिक वानस्पतिक पक्षी है और आमतौर पर जोड़े में दिखायी पड़ती है। इनमे पूरे शरीर पर ग्रे रंग के रोयें होते हैं और इनके पेट का हिस्से हल्का ग्रे या फीके सफ़ेद रंग का होता है। इनके सिर का उभार काले या गहरे ग्रे रंग का होता है और शिरस्त्राण इस उभार के वक्रता बुंडू तक फैला होता है। अनेकों शहरों के ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली हॉर्नबिलों में से एक हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में ये विशाल वृक्ष युक्त मार्गों का उपभोग कर पाती हैं।
विवरण
यह लगभग 24 इंच लम्बी होती है। इनके शरीर का ऊपरी हिस्सा मिश्रित ग्रे और भूरे रंग का होता है और फीके पीले रंग की आंख की भौहों के भी कुछ हल्के निशान देखे जा सकते हैं। कान का आवृत भाग गहरे रंग का होता है। पंख के उड़ान भरने वाले पर गहरे भूरे रंग के होते हैं और इनका सिरा सफ़ेद रंग का होता है। इनकी पूंछ का अग्रसिरा सफ़ेद होता है और गहरे रंग की उपांत धारी होती है। इनकी आंख की पुतली लाल रंग की होती है और पलक पर बाल होते हैं। इनका शिरस्त्राण छोटा और नुकीला होता है।[१] नर पक्षियों में यह शिरस्त्राण गहरे रंग की चोंच पर बड़े आकार का होता है जबकि उसके चोंच का पृष्ठीय सिरा और निचला जबड़ा हल्के पीले रंग का होता है। आंख के चरों और की त्वचा नर पक्षियों में गहरे रंग की और मादा में कभी-कभी फीके लाल रंग की होती है।[२] मादा पक्षी की चोंच अधिक पीली होती है और जो आधार और शिरस्त्राण पर काली होती है।[३][४][५]
वितरण
यह प्रजाति मुख्यतः मैदानों में 2000 फीट की ऊंचाई तक पायी जाती है। यह हिमालय के दक्षिण की और स्थित छोटे पर्वतों में पाई जाती है जो पश्चिम में सिन्धु नदी से और पूर्व में गंगा के डेल्टा द्वारा घिरे हैं। यह स्थानीय शुष्क पश्चिमी क्षेत्र में विचरण करती हुई पाई जा सकती है। यह उन शहरों के अन्दर भी पायी जा सकती है जहां प्राचीन वृक्ष युक्त मार्ग हों.[३] यह मैदानों में 1400 मीटर तक पाई जा सकती है और पश्चिमी घाटों की मालाबार ग्रे हॉर्नबिल से बहुत अधिक समानता नहीं रखती.[१][६]
व्यवहार और पारिस्थितिकी
इनकी आवाज़ कूकने जैसी जो कुछ-कुछ काली चील के समान होती है। इनकी उड़ान थोड़ी मुश्किल होती है और ये हवा में तैरने के साथ अपने फैले हुए पंखों को फड़फड़ाते हैं। ये छोटे समूहों या जोड़ों के रूप में पाए जाते हैं।[१]
इनका प्रजनन काल अप्रैल से जून तक होता है और ये एक बार ऐ से पांच तक बिलकुल एक ही आकार एवम रूप के अंडे देती हैं। भारतीय ग्रे हॉर्नबिल आमतौर पर लम्बे पेड़ की कोटरों में अपना घोंसला बनाती है। अपनी आवश्यकतानुसार ये एक पहले से मौजूद कोटर या गड्ढे को और भी गहरा कर सकती हैं। मादा पक्षी पेड़ के कोटर में प्रवेश करती है और घोंसले के छेड़ को बंद कर देती है, मात्र एक छोटी से लम्बवत दरार छोड़ती है जिसका प्रयोग नर पक्षी उसे भोजन देने के लिए करता है। मादा पक्षी घोंसले के प्रवेश द्वार को अपने मलोत्सर्ग द्वारा बंद करती है।[७][८] घोंसले के अन्दर आने पर मादा पक्षी अपने उड़न पंखों का निर्मोचन कर देती है और अण्डों को सेती है। जब मादा पक्षी के पंख पुनः विकसित होते हैं तो ठीक इसी समय उसके चूजे भी अंडे से बाहर आने की अवस्था में होते हैं और अंडा टूटकर खुल जाता है।[१][९][१०]
मुंबई के पास के एक घोंसले पर कियेगए अध्ययन से यह पता लगा कि वह फलदार पेड़ जिन पर यह रहती हैं उनके नाम स्ट्रेबलस एस्पर, कैन्सजेरा र्हीडी, कैरिसा कैरनडस, ग्रिविया टिलीएफोलिया, लैनिया कोरोमैन्डेलिका, फिक्स सप्प., स्टेरक्युलिया युरेंस और सेक्युरिनेगा ल्यूकोपाइरस है। ये प्रजाति गोंघा, बिच्छु, कीड़ों, छोटे पक्षियों (इन्हें गुलाब सदृश छल्ले वाले तोतों के चूजों को ले जाते हुए और संभवतः अपना शिकार बनाते हुए देखा गया है[११]) और सरीसृपों को अपना भोजन बनाने के लिए जानी जाती है[१२], ये थेवेतिया पेरुवियाना को अपने भोजन के रूप में खाने के लिए भी प्रसिद्द हैं जो अधिकांश रीढ़ धारियों के लिए विषाक्त माना जाता है।[१३]
यह प्रजाति लगभग पूर्णतया वानस्पतिक होती है और बहुत ही कम अवसरों पर भूमि पर आती है, जहां से वे गिरे हुए फल उठा सकें या धूल में नहा सकें.[१४]