दाहिया
पुनर्निर्देश पृष्ठ
को अनुप्रेषित:
यह लेख एकाकी है, क्योंकि इससे बहुत कम अथवा शून्य लेख जुड़ते हैं। कृपया सम्बन्धित लेखों में इस लेख की कड़ियाँ जोड़ें। (सितंबर 2019) |
{{
साँचा:namespace detect
| type = content | image = | imageright = | class = | style = | textstyle = | text = इस लेख में दिये उदाहरण एवं इसका परिप्रेक्ष्य वैश्विक दृष्टिकोण नहीं दिखाते। कृपया इस लेख को बेहतर बनाएँ और वार्ता पृष्ठ पर इसके बारे में चर्चा करें। (सितंबर 2019) | small = | smallimage = | smallimageright = | smalltext = | subst = | date = | name = }}
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2019) साँचा:find sources mainspace |
दहिया जाटों का एक प्रसिद्ध गोत्र है। कुछ दहिया मध्यप्रदेश की अनूसूचित जाति में सम्मलित हो गए है। दाहिया शब्द, दहिया मूल शब्द का तद्भव है।
दाहिया समाज का मूल उद्भव जाटों से माना जाता है ।
दहिया राजस्थान दहिया राजस्थान के जाट समाज का गोत्र है। राजस्थान में दहिया जाटों की उप शाखाएँ है राजा कड़वा राव दहिया के वंशज कड़वा कहलाते है।राजा सिंवर राज दहिया के वंशज सिंवर दहिया कहलाते हैं। राजा सुसल के वंशज सिसमल दहिया कहलाते हैं। राजा बेरीसिंह के वंशज बेरिया दहिया कहलाते हैं। राजा सहजराव के वंशज रणवा(रण के वीर) दहिया कहलाते हैं राज देव के वंशज राज दहियाकहलाते हैं। राजा मंडदेव के वंश मंडीवाल दहिया कहलाते हैं। राजा गंगदेव के वंशज गुगड़ दहिया कहलाते हैं। राजस्थान में जाटों में दहिया ओर उसकी उपशाखा के 600 से ज्यादा ग्राम है। जाटों का एक समूह पिछड़े समुदाय में सम्मलित हो गया उसके वंसज दहियावत(दहियो के वंश) कहलाते है। दहिया गोत्र के जाटों को दहिया बादशाह कहा जाता है।
जेजाकभुक्ति(वर्तमान बुंदेलखंड) के महाराजा खेतसिंह खंगार द्वारा स्थापित खंगार संघ में मध्यप्रदेश के दाहिया लोगों ने अपना सेवाएं दी थी। जिसका उल्लेख खंगार क्षत्रिय समाज की इतिहास सम्बंधित लेखों में स्पष्ट है।
ब्रिटिश शासन के लेखक आर वी रसेल द्वारा लिखित पुस्तक ट्राइब्स एंड कास्ट्स ऑफ सेंट्रल प्रोविन्स में दाहिया को पिछड़ी जातियों में सम्मिलित किया गया है।
चचा राणा के स्तंभ लेख में उत्कीर्ण लेखों से इनका उल्लेख ग्वालियर और श्योपुर ठिकाना मिलता है।
दाहिया जाति का पलायन मुहम्मद बिन तुगलक के हाथों खंग्हार राज्य के पराजय के साथ हुआ और फिर मूल स्थान से इनका निवास बुंदेलखंड और बघेलखण्ड में विस्तृत हो गया है।