मेदिनी ज्योतिष

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प्रारंभिक विज्ञान, विशेषकर ज्यामिति और खगोलमिति / ज्योतिष, मध्य कालीन विद्वानों (medieval scholars) कि सोच के अनुसार दैवीय शक्ति से जुड़े हुए थे। १३ वी शताब्दी की पांडुलिपि में, द कम्पास, ईश्वर की कृति (creation) का एक प्रतीक है, जैसा कि कई लोगों का मानना था - एक वृत्त (circle) में कुछ ऐसा होता था जो बिल्कुल ही दैवीय या सम्पूर्ण था

मेदिनी ज्योतिष या मुण्‍डेन ज्‍योतिष (अंग्रेज़ी: Mundane Astrology) ज्‍योतिष की एक शाखा है जिसमें देशों, राज्‍यों और शहरों इत्यादि स्थलों का भाग्य बताया जाता है। यह जातक ज्योतिष - जिसमें किसी व्यक्ति का भविष्य बताने का प्रयास किया जाता है - से अलग विधा है और इसमें लोगों के बड़े समुदायों, राष्ट्रों इत्यादि के ऊपर ग्रहीय गतियों और दशाओं के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।[१]

अनुसंधान में बाधाएं

ज्योतिषशास्त्रियों का तर्क है की आज ज्योतिष शास्त्र में वैज्ञानिक अनुसंधान करने में कुछ महत्वपूर्ण बाधाएं हैं,[२][३] जिसमें शामिल है - धन की कमी, ज्योतिष शास्त्रियों द्वारा विज्ञान और सांख्यिकी में पृष्ठ भूमि की कमी,[४] और संशय करने वालों एवं वैज्ञानिकों का ज्योतिष शास्त्र में पर्याप्त रूप से दक्ष ना होना[२][३][५] ज्योतिष शास्त्र में वैज्ञानिक अनुसन्धान (scientific research) के क्षेत्र में प्रकाशित पत्रों की संख्या बहुत कम है (यानी वैज्ञानिक अनुसंधान की तरफ़ निर्दिष्ट ज्योतिष पत्र या ज्योतिष अनुसंधान का प्रकाशन करने वाले वैज्ञानिक पत्र (scientific journal) दोनों ही कम संख्या में हैं) कुछ ज्योतिष शास्त्रियों का मानना है की आज ज्योतिष का काम करने वाले कुछ लोग वैज्ञानिक जांच का प्रयोग इसलिए करते हैं क्यूंकि उन्हें लगता है की दैनिक रूप से ग्राहकों के साथ काम करने से उनका व्यक्तिगत सत्यापन (personal validation) होगा.[३][६]

ज्योतिष शास्त्रियों द्वारा दिया गया एक और तर्क है कि ज्योतिष के ज्यादातर अध्ययन में ज्योतिष अभ्यास की प्रकृति प्रतिबिंबित नहीं होती और वैज्ञानिक पद्धति (scientific method) ज्योतिष पर लागू नहीं होती.[७][८] ज्योतिष पर विचार रखने वाले कुछ लोगों का तर्क है कि ज्योतिष के विरोधियों के इरादे और मौजूदा नजरिए के चलते ज्योतिष कि सटीकता मालूम करने के लिए होने वाले प्रोयोगों में, चेतन या अचेतन रूप से, जाँची जाने वाली परिकल्पना के निर्माण, जांच के संचालन और परिणाम की सूचना पक्षपात पूर्ण ढंग से दी जाती हैं।[९]

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. एच. जे. आइसेंक और डी .के .बी. निअस, ज्योतिष: विज्ञान या अंधविश्वास?पेंगुइन बुक्स (१९८२) आईऍसबीऍन ०-१४-०२२३९७-५
  3. जी फिलिप्सन, शून्य वर्ष में ज्योतिष या एस्ट्रोलाजी इन द इयर जीरो.फ्लेअर प्रकाशन (लंदन,२०००) आईऍसबीऍन ०-९५३०२६१-९-१
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
  7. एम. अर्बन लुरियन, बहुरूपी विश्लेषण से परिचय, ज्योतिष अनुसंधान पद्धति, खंड १: एक आई एस ए आर संकलन ज्योतिष अनुसनधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय समाज (लॉस एंजिलिस १९९५) आई एस बी एन ०-९६४६३६६-०-३
  8. जी पेरी, हम कैसे जाने की जो हम सोचते हैं वो हम जानते है। ज्योतिष अनुसंधान में उदाहरण से पद्धति तक, ज्योतिष अनुसन्धान पद्धति, खंड १ : आई एस ए आर, संकलन ज्योतिष अनुसंधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय समाज या इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर एस्ट्रोनामिकल रिसर्च (लॉस एंजिलिस १९९५) आई एस बी एन ०-९६४६३६६-०-३
  9. साँचा:cite web