साँचा:आज का आलेख २५ नवंबर २०१०
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मॉर्फिग चित्रों को संपादित करने की एक तकनीक होती है। इसमें एक ही चित्र को कई तरीके से या दो और दो से अधिक चित्रों को एक साथ मिलाकर उसे बेहतर या अलग रूप दिया जाता है। यह काम इतनी सूक्ष्मता से किया जाता है कि बाद में देखने वाले को ये भान तक नहीं होता कि दो चित्रों को मिलाकर बनाया गया है। मॉर्फिग का प्रयोग चलचित्रों में पहले से होता आ रहा था, लेकिन १९९० के दशक में कंप्यूटर आने के बाद इसका अधिक प्रयोग दिखने लगा है। आज यह तकनीक, चलचित्रों, विज्ञापन और मीडिया का महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है।[१] आरंभ में मॉर्फिग दो चित्रों को क्रॉस-फेड के रूप में होती थी, जिसमें कैमरा एक चेहरे या वस्तु पर पड़ने के बाद धीरे धीरे उसे धुंधला करता जाता था और बाद में किसी दूसरी वस्तु या चेहरे पर आकर रुक जाता था। बाद में चेहरे या वस्तु को पूरी तरह धुंधला किया जाने लगा। जैसे जैसे चलचित्र-संपादन तकनीकें डिजिटल होती गई, मॉर्फिग पहले से बेहतर होने लगी। अब तो मॉर्फिंग कुछ उन्नत मोबाइल फोन उपकरणों में भी आने लगी है।[२] विस्तार में...