जैतारण

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>True Hisyory द्वारा परिवर्तित १०:०१, २८ अगस्त २०२१ का अवतरण (Correct Information add)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
साँचा:if empty
Jaitaran
{{{type}}}
जैतारण का एक दृश्य
जैतारण का एक दृश्य
साँचा:location map
निर्देशांक: साँचा:coord
देशसाँचा:flag/core
प्रान्तराजस्थान
ज़िलापाली ज़िला
तहसीलजैतारण
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (2011)
 • कुल२२,६२१
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषा
 • प्रचलितराजस्थानी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड306302
दूरभाष कोड02939
वाहन पंजीकरणRJ-22
लिंगानुपात958 /

साँचा:template other

जैतारण (Jaitaran) भारत के राजस्थान राज्य के पाली ज़िले में स्थित एक नगर है।[१][२]

विवरण

जैतारण राजस्थान के मानचित्र के मध्य में लगभग 70 डिग्री पूर्वी देशांतर और 26 पॉइंट 7 डिग्री उत्तरी अक्षांश रेखा पर जिला मुख्यालय पाली से 110 किलोमीटर सूर्य नगरी जोधपुर से 105 किलोमीटर पृथ्वीराज चौहान की राजधानी अजमेर शहर से 110 किलोमीटर एवं मीरा नगरी मेड़ता से 55 किलोमीटर की दूरी पर है इस नगर के पूर्व दिशा में गांव निम्बाज पर पश्चिम दिशा में गांव गरनिया 9 किलोमीटर पर उत्तर दिशा में गांव बलूंदा 12 किलोमीटर पर एवं दक्षिण दिशा में गांव आगेवा 6 किलोमीटर पर स्थित है ।

इतिहास

विक्रम संवत 1343 में जैती नाम की गुजरी की झोपड़ी एवं गायों का बाड़ा (गोर) था जेती के पिता का नाम श्री धोकलराम गुर्जर था श्री धोकल राम गुर्जर के दो लड़कियों का नाम जैति एवं खेती था धोकल रामजी का गांव रतनपुरा था जेती गुजरी के गांव के बारे में से मोर्ने चोर गाय चुरा कर ले गए उसी समय सिंध के पांच शहजादे जो आपस में सगे भाई थे पाली के पहलवानों से युद्ध में हराकर जंगल में भटकते हुए खेती गुजरी के बारे में पहुंच गए जेती गुजरी ने 5 शहजादो को शरण दीतब पांचों भाइयों ने जैती को अपनी धर्म बहन बना लिया एवं जैती की गायों को ढूंढने के लिए जंगल में निकल गए गिरी गांव के पास पहुंचकर मोर ने चोरों से युद्ध किया बड़ा भाई सईद अली युद्ध में मारा गया दूसरा भाई सईद मिर्जा घायल अवस्था में जैतारण व फुल मालगांव के बीच मर गया उस जगह की आज भी मिर्जापुर की नाडी के नाम से जाना जाता है वहां पर सईद मिर्जा की मजार बनी हुई है उसके चारों और परकोटा खींचा हुआ है अतः प्रतिवर्ष मेला लगता है बाकी तीनों भाई घायल अवस्था में जैती की गाय सुपुर्द कर दी वहीं अपने प्राण त्याग दिए उनके बलिदान को देखकर जैती ने भी जिंदा ही समाधि लेने का निश्चय किया उसी समय भाकर सिंह सिंधल राठौड़ उधर से गुजर रहे थे यहां दो नदियों का संगम देखकर जंगल में नगर बसाने का निश्चय किया तब जैत्ती ने अपनी गायै भाकर सिह सिधल को दे दी । सवत 1354 में भाकर सिंह सिंघल ने जैतारण नगर की स्थापना की उसके बाद बाकर सिंह सिंघल की पांच पिडियो ने राज्य किया जैतारण में सिधल राठौड़ वंश का राज्य भाकर सिंह सिंधल की पांचवी पीढ़ी में खिवाजी सिंदल का जैतारण में आधिपत्य था इतिहास जोधपुर नगर के निर्माता एवं मरुधराधीश राव जोधा जी राठौड़ के निधन के बाद आप की राजगद्दी पर राव सूजा जी आरुढ हुए इन्हीं राव सुजा जी कि तीसरे पुत्र उद्धव जी जो कि राव सूजा जी की तीसरी रानी मांगलिया नी से उदय जी प्रांगण जी एवं सांगा जी नेजन्मलिया राव सूजा जी ने उदय जी को आदेश दिया कि जैतारण के राजा खिवा जी सिंदल से बलपूर्वक राज्य छीन कर ले लो ऊदा जी ने अपने मासा खिवा जी को मारकर राज्य लेने से इंकार कर दिया उनसे जाकर मिले कुछ दिन जैतारण रहे तथा खिवा जी ने ऊदा जी का स्वागत किया बाद में खिवा जी ने हाथ खर्च के लिए गांव लोटोती दिया उदा जी लोटोती में रहकर अपने पिता के नाम से सुजा सागर तालाब बनवाया उस समय ग्राम निम्बोल में वचन सिद्ध योगी राज रिदरावल जी रहते थे उन्हें लोग गूदड बाबा भी कहते थे ऊदा जी योगीराज की खूब सेवा की एवं उनके परम भक्त बन गए यहां तक कि प्रतिदिन ऊदाजी लोटोती से निम्बोल जाकर योगीराज के दर्शन करने के बाद ही भोजन किया करते थे योगीराज विद राहुल जी आघात भक्ति से प्रसन्न होकर उदाजी को कहा कि तुम्हें जैतारण का राज्य दिया एक बार तो उदाजी अपने मासाजी को मारकर राज्य लेने का घिनौना कार्य नहीं करना चाहते थे योगीराज के वचन एवं उनके डर से ऊदा जी से युद्ध किया जैतारण पर अपना राज्य जमा लिया विक्रम संवत 1539 वैशाख सुदी तीज को उदाजी जी जैतारण की गद्दी पर बैठे तथा उनका राज्य तिलक राजपुरोहित भोजराज जी ने किया उस के उपलक्ष में उन्हें तालिकीया ग्राम बख्शीश में दिया राव जी ने विक्रम संवत 1541 से 1542 तक ₹81000 में जैतारण का किला गढ़ बनवाया साथ में कृष्ण भगवान का मंदिर बनाकर गोपाल द्वारा की स्थापना की वैशाख सुदी पूर्णिमा को उदय जी का स्वर्गवास हो गया उदा जी के पांच रानी सती हो गई तथा उसके उनके 11 पुत्र थे उनमें से तीसरे पुत्र खिवकरण जी का जन्म विक्रम संवत 1537 भादवा सुदी ग्यारस को हुआ उदा जी के निधन के बाद 30 वर्ष की अवस्था में इनके पुत्र खिव करण जी जैतारण के स्वामी बने जैतारण मे बस स्टॉप के पास माली समाज की बगीची बनी हुई है और यहां पर माली जाती का बहुलीय ईलाका माना जाता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990