क्यानाइट

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काइआनाइट (Kyanite)
Kyanite crystals.jpg
सामान्य
वर्गनेसोसिलिकेट (Nesosilicate)
रासायनिक सूत्रAl2SiO5
पहचान
वर्णBlue, white, rarely green, light gray to gray, rarely yellow, pink, orange, and black, can be zoned
क्रिस्टल हैबिटColumnar; fibrous; bladed
क्रिस्टल प्रणालीTriclinic
ट्विनिंगLamellar on {100}
क्लीवेज[100] perfect [010] imperfect with 79° angle between
फ्रैक्चरSplintery
टैनेसिटीBrittle
मोह्ज़ स्केल सख्तता4.5-5 parallel to one axis
6.5-7 perpendicular to that axis
चमकVitreous to white
रिफ्रैक्टिव इंडेक्सnα = 1.712 - 1.718 nβ = 1.720 - 1.725 nγ = 1.727 - 1.734
ऑप्टिकल गुणBiaxial (-)
प्लेओक्रोइज्म़Trichroic, colorless to pale blue to blue
स्ट्रीकWhite
स्पैसिफिक ग्रैविटी3.53 - 3.65 measured; 3.67 calculated
डायफनैटीTransparent to translucent
सन्दर्भ[१][२][३]

काइआनाइट (Kyanite) अथवा साइआनाइट (Cyanite) एक खनिज है जो प्राय: ऐल्यूमिनियम सिलिकेट (Al2SiO5) है। यह नीले चिपट त्रिप्रवणिक (triclinic) मणिभों और मणिभ समुदाय के रूप में प्राप्त होता है। इसके निक्षेप सिंहभूमि जिले के उत्तरी भाग में खर्सवान में लप्साबुरू नामक स्थान पर स्थित हैं। इसके अतिरिक्त बाडिया, बाकरा, उपेरबेदा, मोहनपुर, उपारसोली आदि में भी इसका खनन किया जाता है। लप्साबुरू के काइआनाइट निक्षेप संसार के सर्वाधिक विशाल निक्षेप हैं। उड़ीसा में बोनाई तथा ढेनकनाल आदि स्थानों में काइआनाइट के कुछ लघु निक्षेप मिले हैं। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले तथा मध्य प्रदेश के भंडारा जिले में काइआनाइट युक्त कुछ शिलाएँ प्राप्त हुई हैं। खर्सवान, सरायकेला, घाटशिला (झारखंड) तथा मैसूर के निक्षेपों में आजकल खनन कार्य किया जा रहा है।

भारत से इंग्लैंड, अमरीका, बेल्जियम तथा जर्मनी आदि देशों को काइआनाइट भेजा जाता है। गत वर्षों से भारत में भी तापरोधी उपकरणों में इसका उपयोग होने लगा है, जिससे भविष्य में देश की आंतरिक माँग में वृद्धि होने की पूर्ण संभावना है। काइआनाइट में अनेक गुण होने के कारण इसका उपयोग तापरोधक के अतिरिक्त सीमेंट तथा मिट्टी के बरतनों, गैस तथा तेल के तंदूरों (ovens), वकभांडों (retorts), घरियों (cruclbles) अपवारित भट्ठियों (muffle furnaces) तथा अनेक प्रकार के छोटे-छोटे उद्योगों में किया जाता है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ