साइपरेसी

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सोनोप्लेक्टस लैकस्ट्रिस (Schoenoplectus lacustris)

साइपरेसी (Cyperaceae) घास सदृश शाक का कुल है जिसके पौधे एकबीजपत्री तथा दलदली भूमि में उगते हैं। इस कुल के पौधे मुख्यत: बहुवर्षी होते हैं।

साइपरेसी कुल के ८५ वंश और लगभग ३,२०० स्पीशीज ज्ञात हैं। ताड़कुल (Palmae) तथा लिलिएसी (Liliaceae) कुल के बीजों के अंकुरण की तरह साइथरेसी कुल के बीजों का अंकुरण होता है। प्रति वर्ष की नवीन शाखा पिछली पर्वसंधी से संलग्न रहती है। प्राय: तना वायव तथा त्रिभुजी होता है और पत्तियाँ तीन पंक्तियों में रहती हैं। सूक्ष्म पुष्प स्पाइकिका (spikelet) में व्यस्थित रहते हैं। साइपीरस (Cyperus) वंश तथा कैरेक्स या नरइवंश (Carex) के फूल नग्न होते हैं। विरल दशा में ही फूल में छह शल्कवाला परिदलपुंज (perianth) रहता है। परिदलपुंज का प्रतिनिधित्व रोएँ या शूक से होता है। फल में सामान्यत: तीन और कभी-कभी दो पुंकेसर (stamen) होते हैं। स्त्री केसर (pistil) में दो या तीन अंडप होते हैं, जो मिलकर अंडाशय बनाते हैं जिसमें कई वर्तिकाएँ (style) एवं एक बीजांड (ovule) होता है। पुष्प प्राय: एकलिंगी (unisexual) होते हैं और वायु द्वारा परागण होता है। फल में एक बीज होता है तथा इसका छिलका कठोर एवं चर्म सदृश होता है। सपस (Scirpus), रिंगकॉस्पोरा (Rynchospora), साइपीरस तथा कैरेक्स इस कुल के प्रमुख वंश हैं। कैरैक्स वंश के पौधे चटाई बनाने के काम में आते हैं।

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