तालपत्र
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ताड़ (ताल) के सूखे पत्तों पर लिखी पाण्डुलिपियाँ तालपत्र कहलाती हैं। पाण्डुलिपि के लिये तालपत्र का उपयोग एशिया के कुछ भागों (मुख्यत: भारत) में १५वीं शती ईसापूर्व तक मिलता है। आरम्भ में ज्ञान मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरित होता था। किन्तु लिपि के आविर्भाव के उपरान्त ज्ञान को तालपत्रों पर लिखकर सुरक्षित किया जाने लगा।