राम सहाय
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पंडित राम सहाय | |
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style="text-align:center;" साँचा:image class colspan="2" | पं.रामसहाय पं.रामसहाय
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पृष्ठ्भूमि | |
जन्म नाम | राम सहाय |
जन्म | १७८० |
मूल | वाराणसी |
मृत्यु | १८२६ |
शैली(यां) | हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत |
वाद्य | तबला |
Notable instrument(s) | |
तबला |
पंडित राम सहाय (१७८०-१८२६) बनारस घराने के संस्थापकों में से एक रहे हैं। आज प्रचलित बनारस बाज लगभग २०० वर्ष पूर्व इन्होंने ही विकसित की थी।[१] ये बनारस शहर के रहने वाले थे। इनके संगीत गुरु दिल्ली के सिधार खान जी के शिष्य उस्ताद मोढू खान थे। उस्ताद जी लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला के दरबार में शाही संगीतज्ञ थे। जब राम सहाय मात्र १७ वर्ष के ही थे, तब लखनऊ के नये नवाब ने मोधु खान से पूछा कि क्या राम सहाय उनके लिये एक प्रदर्शन कर सकते हैं? कहते हैं, कि राम सहाय ने ७ रातों तक लगातार तबला-वादन किया जिसकी प्रशंसा पूरे समाज ने की एवं उन पर भेटों की बरसात हो गयी। अपनी इस प्रतिभा प्रदर्शन के बाद राम सहाय बनारस वापस आ गये।
सन्दर्भ
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