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रामललानहछू कवि तुलसीदास की एक रचना है। यह अपेक्षाकृत रूप से एक लघु रचना है जिसमें श्रीराम के 'नहछू', अर्थात पैर के नाखून काटे जाने का पारंपरिक संस्कार, का वर्णन है। इसे तुलसीदास ने लोक शैली सोहर और अवधी भाषा में लिखा है। कुछ विद्वान इसे खंड काव्य का दर्जा देते हैं।[१]
सन्दर्भ