साँचा:महाभारत काल के सबसे शक्तिशाली योद्धा
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- श्रेणीयोद्धाविवरणश्रेणी१
अर्जुन,श्रीकृष्ण,भीष्म,
बलराम,ये ऐसे योद्धा थे जिन्होने युद्ध में कभी हार का स्वाद नहीं चखा था। इनके पास दिव्यास्त्रों की कमी नहीं थी और अपनी अपनी युद्ध कला मे पूर्ण रुप से पारंगत और प्रवीण तथा सबसे अच्छे थे। महाभारत के अनुसार ये देवताओं को भी पराजित कर सकते थे जैसा कि अर्जुन और श्रीकृष्ण ने कई बार किया और यहाँ तक कि भगवान शिव को भी युद्ध मे सन्तुष्ट कर दिया। भीष्म ने भी परशुराम को पराजित किया था। और भगदत्त तो इन्द्र का मित्र था, उसने भी अनेकों बार देवासुर संग्राम में देवताओं की सहायता की थी।श्रेणी२भीम,,जरासंध,सात्यकि,
कृतवर्मा,भूरिश्र्वा,अश्वत्थामा,
अभिमन्यु,कंसये ऐसे योद्धा थे जिन्होने युद्ध मे बहुत ही कम बार हार का स्वाद चखा था। इनके पास भी दिव्यास्त्रों की कमी नहीं थी परन्तु अति विशेष दिव्यास्त्र जैसे पाशुपत अस्त्र आदि की प्रधानता भी नहीं थी। ये सब युद्ध कला में पूर्ण रुप से पारंगत और प्रवीण थे तथा भारतवर्ष के कई जनपदों को युद्ध में परास्त कर चुके थे।श्रेणी३दुर्योधन,धृष्टद्युम्न,शल्य,द्रुपद,
अलम्बुष,घटोत्कच,कीचकये ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपने युद्ध में हार कम ही बार देखी थी, परन्तु ये ऐसे योद्धा थे जो किसी भी क्षण उत्साह और आवेश मे आकर बड़े से बड़े युद्ध का पासा पलट देने की क्षमता रखते थे। ये योद्धा अपने-अपने युद्ध कौशल में प्रवीण तथा श्रेष्ठ थे।श्रेणी४ये वीर युद्ध कला मे पूर्ण रुप से पारंगत और प्रवीण थे परन्तु इनके पास बहुत ज्यादा श्रेष्ठ दिव्यास्त्र नही थे। फिर भी ये समान्य वीरो से बहुत बढ़कर थे।महाभारत काल के क्रमशः महाशक्तिशाली जनपद और उनके प्रतिनिधिमहाभारत के अनुसार ये जनपद महाभारत काल में सबसे अधिक विकसित और आर्थिक रुप से सुदृढ माने जाते थे, इन्हे उस समय के विकसित देश समझा जा सकता है तथा इनमे भी कुरु और यादव तो सबसे अधिक शक्तिशाली थे और केवल यही दो जनपद थे जिन्होंने उस समय राजसूय और अश्वमेध यज्ञ किये थे।