साँचा:आज का आलेख ६ फ़रवरी २०१०

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शैलेश मटियानी (१४ अक्तूबर १९३१-२४ अप्रैल २००१) का जन्म अल्मोड़ा के बाड़ेछीना गांव में हुआ था। उनका मूल नाम रमेशचंद्र सिंह मटियानी था तथा आरंभिक वर्षों में वे रमेश मटियानी 'शैलेश' नाम से लिखा करते थे। लेखक बनने की उनकी इच्छा बड़ी जिजीविषापूर्ण थी। १९९२ में कुमाऊं विश्वविद्यालय ने उन्हें डी० लिट० की मानद उपाधि से सम्मानित किया। जीवन के अंतिम वर्षों में वे हल्द्वानी आ गए। विक्षिप्तता की स्थिति में उनकी मृत्यु दिल्ली के शहादरा अस्पताल में हुई। इनकी प्रमुख कृतियों में महाभोज, चील, प्यास और पत्थर, कहानी संग्रह; हौलदार, चिट्‌ठी रसेन उपन्यास और जनता और साहित्य, यथा प्रसंग, कभी-कभार निबंध हैं। मटियानी जी को उत्तर प्रदेश सरकार का संस्थागत सम्मान, शारदा सम्मान, देवरिया केडिया सम्मान, साधना सम्मान और लोहिया सम्मान दिया गया। उनकी कृतियों के कालजयी महत्व को देखते हुए प्रेमचंद के बाद मटियानी का नाम लिया जाता है। विस्तार में...