बहुछिद्रिल फोड़ा

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बहुछिद्रिल फोड़ा

बहुछिद्रिल फोड़ा (कार्बकल, Carbuncle) वास्तव में अधस्त्वक ऊतक का कोथ होता है, किंतु ऊपर से इसकी आकृति एक विस्तृत विद्रधि या फोड़े के समान होती है, जिसके चर्म में बहुत से छिद्र होते हैं। इन छिद्रों से गाढ़े पूय की बूँदे निकलती रहती हैं।

इसका कारण स्टैफ़िलोकॉबस ऑरियस (staphylocous aureus) जीवाणु होता है, जो चर्म के नीचे के ऊतकों में कोथ उत्पन्न कर देता है। छेदन करने पर पूतिवस्तु (slough) के स्तर प्रकट होते हैं, जिनको काटकर निकालता पड़ता है। धीरे-धीरे मृत ऊतकों के ये स्तर पूय में परिणत हो जाते हैं।

चिकित्सा

पेनिसिलीन के इंजेक्शनों से प्राय: रोग दब जाता है। अधिक पूतिवस्तु के बन जाने पर क्रूस (+) के आकार का छेदन करके, चर्म भागों को चिमटी से उठाकर, उनके नीचे से पूतिवस्तु को काटकर निकाल दिया जाता है और मैग्नीशियम सल्फेट 45, ग्लिसरीन 55 और कार्बोलिक ऐसिड 0.5 भाग के अवलेह का लेप लगाने से व्रण स्वच्छ हो जाता है। इसके पश्चात् उसका साधारण व्रण की भाँति उपचार किया जाता है।