साँचा:आज का आलेख २९ जनवरी २०१०

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>आशीष भटनागर द्वारा परिवर्तित ०१:५२, २४ जनवरी २०१० का अवतरण
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
आई.टी.ई.आर निर्वात वैसल के प्रतिरूप
आईटीईआर ऊर्जा की कमी की समस्या से निबटने के लिए भारत सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सहयोग से मिलकर बनाया जा रहा संलयन नाभिकीय प्रक्रिया पर आधारित ऐसा विशाल रिएक्टर है, जो कम ईंधन की सहायता से ही अपार ऊर्जा उत्पन्न करेगा। सस्ती, प्रदूषणविहीन और असीमित ऊर्जा पैदा करने की दिशा में हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर इस नाभिकीय महापरियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। इसमें संलयन से उस ही प्रकार से ऊर्जा मिलेगी, जैसे पृथ्वी को सूर्य या अन्य तारों से मिलती है।इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के परमाणुओं को १० करोड़ डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक गर्म किया जाता है। इस तापमान में हाइड्रोजन के परमाणु आपस में जुड़कर हीलियम के परमाणु को जन्म देते हैं और इस प्रक्रिया में भारी ऊर्जा पैदा होती है। एक किलोग्राम द्रव्यमान के संलयन से एक करोड़ किलोग्राम पेट्रोलियम ईंधन के बराबर ऊर्जा पैदा हो सकती है। विस्तार में...