उपदेशवाद
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साहित्य के माध्यम से उपदेश देने की प्रवृत्ति को उपदेशवाद (डाइडैक्टिसिज़्म / Diadacticism) की संज्ञा दी गई है। अंग्रेजी में इससे संबद्ध पर्याप्त साहित्य मिलता है, लेकिन हिंदी के नीतिकाव्य को इस वर्ग में अंतर्भुक्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसमें उपदेश की प्रवृत्ति अधिक गहरी तथा अधिकांशत: सांप्रदायिक हो गई है। देखा जाए तो उपदेशवाद एक व्यापक साहित्यिक प्रवृत्ति है और संसार की प्रत्येक भाषा के साहित्य में किसी न किसी अंध में इसे खोजा जा सकता है। लेकिन शुद्ध कलात्मक स्तर पर इसे उचित नहीं माना जाता।