फणि मुकुट राय

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साँचा:infobox फणि मुकुट राय ने छोटानागपुर में नागवंशी वंश की स्थापना की थी। वह एक योग्य शासक थे। नागवंशी साम्राज्य की स्थापना संवत 121 यानी 64 ए. डी. में हुई थी। नागवंशी साम्राज्य की राजधानी सुताम्बे थी।

नागवंश राज्य की स्थापना फनीमुकुट राय ने की थी इन्हें आदि पुरुष भी कहा जाता है इन्होंने अपनी राजधानी सूतीआंबे को बनाया था और वहीं पर एक सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था और एक गैर आदिवासी भवराय को वहां दीवान नियुक्त कर दिया था नागवंशी शासन व्यवस्था में फनीमुकुट राय के बाद मुकुट राय, मदन राय ,प्रताप राय शासक बने प्रतापराय ने अपनी राजधानी सूतीअंबे से हटाकर चुटिया ले आया था इन्होंने अपना शासन का केंद्र चुटिया को ही बनाया था जो रांची के नजदीक स्थित है नागवंश में अगला शासक भीमकर्ण हुआ इन्होंने कर्ण की उपाधि धारण की थी इन्होंने अपने राज्य का विस्तार भी किया इसी दरमियान सरगुजा के राजा रक्सौल राजा के साथ बरवा का युद्ध हुआ था इन्होंने अपनी राजधानी चुटिया से हटाकर खुखरा कर लिया था इनके बाद नागवंश में शिवदास दास कर्ण शासक हुए इन्होंने गुमला के आसपास अपना साम्राज्य विस्तार किया था इन्होंने गुमला के पास घाघरा में हापामुनि मंदिर बनवाया था इसके शासनकाल तक आते-आते नागवंश पतन की ओर अग्रसर हो गया था इसके बाद प्रतापगढ़ और छत्र कर्ण शासक हुए क्षत्रकर्ण ने कोराआंबे में विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था अंत में नागवंश में प्रताप उदय नाथ शाहदेव शासक हुए इन्होंने रांची के नजदीक रातू में रातूगढ़ का निर्माण करवाया और अपनी राजधानी रातूगढ़ को बनाया और वहीं से अपने शासन व्यवस्था का संचालन किया नागवंशी शासन व्यवस्था अत्यंत सरल व्यवस्था थी इस व्यवस्था में शासन का प्रमुख राजा होता था जबकि गांव के प्रमुख को महतो कहा जाता था राजा का जो खेती बाड़ी करता है और अनाज को जमा करके रखता था उसे भंडारी कहा जाता था इसके अलावा अमीन ओहदार, तोपची, साहनी आदि रहते थे जो नागवंशी शासन व्यवस्था के अंग थे।साँचा:cn

सन्दर्भ

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