उस्मान बिन अफ़्फ़ान
साँचा:infobox royalty उसमान बिन अफ़्फ़ान (579-656) उमर बिन खत्ताब के बाद मुसलमानो के तीसरे ख़लीफ़ा चुने गये। पहले वो एक धनी व्यापारी हुआ करते थे लेकिन बाद में वह मुहम्मद साहब के प्रमुख साथी बने।
अपने धन के कारण उनको अल-ग़नी भी कहते हैं - इनके पिता मक्का के प्रभावशाली व्यापारी थे, जबकि ये ख़ुद कारोबारी सिलसिले में इथियोपिया में रहने लगे थे। इनके परिवार के अन्य सदस्यों ने अगले ७० सालों के इस्लामी साम्राज्य-विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की एवं संपुर्ण उत्तरी अफ्रिका पर विजय प्राप्त की। बाद के उमय्या वंश के शासक इनके वंश से संबंधित थे। कुख्यात अरब जनरल अबू सुफ़ियान, और बाद में स्पेन में राज करने वाले मूसा भी इनके ख़ून के रिश्तेदार थे।
उस्मान का चुनाव
हजरत उमर, अपने मौत के वक़्त पर, अगले खलीफा को अपने बीच में से चुनने के लिए छह लोगों की एक समिति का गठन किया। यह समिति थी:
- अली
- उस्मान इब्न अफान
- अब्दुर रहमान बिन अवेफ
- जेद इब्न अबी वकाकस
- अल-जुबैर
- तलहा
हजरत उमर ने कहा कि, उनकी मृत्यु के बाद, समिति तीन दिनों के भीतर एक अंतिम निर्णय ले, और अगले ख़लीफ़ा को चौथे दिन कार्यालय की शपथ लेनी चाहिए। तलहा इस अवधि के भीतर समिति में शामिल हो गए, तो वे विचार-विमर्श में हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन वे इस अवधि के भीतर मदीना वापस नहीं आए, तो समिति के अन्य सदस्य इस फैसले से आगे बढ़ सकते थे। अब्दुर रहमान बिन औफ़ ने मध्यस्थ के रूप में कार्य करने के लिए खलीफा के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए अपनी पात्रता वापस ले ली और समिति के प्रत्येक सदस्य से अलग से मुलाकात करके अपना कार्य शुरू किया। उन्होंने उनसे पूछा कि किसके लिए वे अपना वोट देंगे। जब हजरत अली से पूछा गया, उन्होंने जवाब नहीं दिया। जब हजरत उथमान से पूछा गया, उन्होंने हजरत अली के लिए मतदान किया, जुबैर ने अली या उथमान के लिए कहा और साद ने उथमान के लिए कहा।