बिंब
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भारतीय काव्यशास्त्र में बिंब को काव्य क्रिया कल्प विधि का अनिवार्य अंग कहा गया है। यह शब्दों द्वारा प्रस्तुत एन्द्रिय चित्र है जो मानवीय भावना प्रेरित रूपकात्मकता को अपने में स्थान देता है। ह्यूंग के अनुसार यह पदार्थों के आंतरिक सादृश्य की अभिव्यक्ति है। इसका निर्माण एन्द्रिय उत्तेजना से होता है।