टायर
टायर एक छल्ले के आकार का पहिया होता है जिसे किसी वाहन के पहिये पर उसके संरक्षण और जब यह जमीन के साथ निकट संपर्क में हो तब उस वाहन की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए चढ़ाया जाता है। वाहन के चलते समय यह झटकों को सहन कर उसे एक लचीला आधार प्रदान करता है जो वाहन की कार्यकुशलता को बढ़ाता है। टायर शब्द हिन्दी में अंग्रेजी से आया है और यह अंग्रेजी शब्द ‘अटायर’ से निकला है जिसका अर्थ वस्त्र होता है, तो दूसरे शब्दों में टायर का अर्थ एक पहिये की पोशाक है।
Pujasah
आधुनिक टायर निर्माण में मूल रूप से रबड़, कपड़े और विभिन्न रसायनिक यौगिक प्रयोग में लाये जाते हैं। इनकी रचनात्मक बनावट में पाद और काया शामिल होती है, जहाँ पाद चलते समय कर्षण प्रदान करता है, वहीं काया पूरे वाहन को सहारा देती है। रबर के आविष्कार से पहले लकड़ी से बने पहियों पर चढ़ी धातु की पट्टी ही टायर का पहला संस्करण है। टायर का सबसे हाल का और लोकप्रिय संस्करण वातिल या वायवीय टायर है, जिसमे टायर के अन्दर संपीड़ित हवा भरी जाती है और इस हवा से फूला टायर वाहन को एक गद्देदार आधार प्रदान करता है। वातिल टायर का प्रयोग कई वाहनों जैसे कि साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, ट्रक, अर्थमूवर्स और विमानों में भी किया जाता हैं।
इतिहास
टायर के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि शुरूआती टायर लोहे के पट्टों के बने होते थे, जिन्हें घोड़ागाड़ियों या वैगनों के लकड़ी के पहियों पर चढ़ाया जाता था। बैलगाड़ियों में अभी भी इस तरह के लौह - टायरों का इस्तेमाल होता है। वर्ष १८४४ में चार्ल्स गुडईयर द्वारा वल्कित रबर के आविष्कार के बाद रबर के आधुनिक टायरों के बनने की राह प्रशस्त हुई। स्कोंटिश इंजिनियर रोंबर्ट विलियम थोमसन ने वर्ष १८४५ में पहला न्यूमेटिक (वायवीय) टायर बनाया। हालांकि इसके निर्माण व फिटिंग में काफी उलझनें थी, लिहाजा यह सफल नहीं रहा। पहला व्यावहारिक रूप से सफल न्यूमेटिक टायर बनाने का श्रेय जोंन बोंयड डनलप को जाता है, जिन्होंने वर्ष १८८७ में अपने दस वर्षीय बेटे की साइकिल के लिए इसे इजाद किया था। उनके टायर में लेदर के हौजपाईप को ट्यूब की तरह इस्तेमाल किया गया था। इसके कुछ समय बाद ही रबर ट्यूब अस्तित्व में आ गई। जल्द ही इन टायरों का ऑटोमोबाइल में भी इस्तेमाल होने लगा। बीसवीं सदी के शुरूआती दौर में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अनेक टायर कंपनियां अस्तित्व में आई, जों ऑटो इंडस्ट्रि के साथ-साथ बढ़तीं गई। आज दुनिया में सालाना एक अरब से ज्यादा टायरों का निर्माण होता है।