शानहाइगुआन
शानहाइगुआन
| |||||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
पारम्परिक चीनी: | साँचा:lang | ||||||||||||
सरलीकृत चीनी: | साँचा:lang | ||||||||||||
शाब्दिक अर्थ: | "Mountain and Sea Pass" | ||||||||||||
|
शानहाइ दर्रा (Shanhai Pass) या शानहाइगुआन (山海關, Shanhaiguan), जिसे यू दर्रा (榆關, Yu Pass) भी कहते हैं, चीन की विशाल दीवार में बना एक प्रमुख दर्रा है, जिसके ज़रिये दीवार को पार किया जा सकता है। यह दीवार के सुदूर पूर्वी छोर के पास स्थित है, जो दीवार के बोहाई सागर के किनारे अंत हो जाने से थोड़ा पहले पड़ता है। प्रशासनिक दृष्टि से शानहाइगुआन चीन के हेबेई प्रान्त के चिनहुआंगदाओ (秦皇岛, Qinhuangdao) शहर के शानहाइगुआन विभाग में पड़ता है।
नाम का अर्थ
चीनी भाषा में 'शान' का मतलब 'पहाड़', 'हाइ' का मतलब 'समुद्र' और 'गुआन' का मतलब 'दर्रा' होता है। इसलिए शानहाइगुआन का मतलब 'पहाड़ और समुद्र का दर्रा' है। यहाँ इलाका पहाड़ी है लेकिन जाकर बोहाई सागर में मिलता है, यानि समुद्री और पहाड़ी मिश्रित क्षेत्र है, जिस से इस स्थान का नाम पड़ा।
इतिहास
चीनी इतिहास में शानहाइ दर्रे का मंचूरिया में रहने वाली ख़ितानी, जुरचेन और मान्छु जैसी क़बीलियाई जातियों के आक्रमणों से रक्षा करने में महत्वपूर्ण किरदार रहा है। यह यान पर्वतों से दक्षिण में और बोहाई सागर से उत्तर में स्थित है। उत्तरी और दक्षिणी राजवंशों के ज़माने में उत्तरी ची राजवंश (北齊朝, Northern Qi Dynasty) ने और फिर तंग राजवंश ने यहाँ दर्रा बनवाया था। सन् १३८१ में मिंग राजवंश के शू दा (徐達, Xu Da) नामक सिपहसलार ने पहाड़ और समुद्र के बीच शानहाइगुआन बनवाया। उसके बाद एक और मिंग सिपहसालार, ची जिगुआंग (戚繼光, Qi Jiguang), ने इसके पास फ़ौजी छावनी, क़िलों और बस्तियों को बनवाया। शानहाइगुआन पर तब से ज़बरदस्त फ़ौजी ताक़त तैनात रही और आज भी यह विशाल दीवार का सबसे अच्छी हालत वाले दर्रों में से एक है।[१]
शानहाइ दर्रे का युद्ध
१६४४ में मिंग राजवंश के ख़िलाफ़ ली ज़िचेंग (李自成, Li Zicheng) नामक नेता बग़ावत कर रहा था, जिसने अल्पकाल के लिए एक शुन राजवंश (順朝, Shun Dynasty) नामक राजवंश घोषित किया था। मिंग सिपहसलार वू सांगुई (吳三桂, Wu Sangui) मिंग सरकार से अलग होकर ली ज़िचेंग को समर्थन देने की सोच रहा था। तभी उस तक अफ़वाह पहुँची की ली ज़िचेंग ने उसकी प्रेमिका चेन युआनयुआन (陳圓圓, Chen Yuanyuan) का अपहरण कर लिया है। उसे यह भी यक़ीन था कि मिंग राजवंश ख़त्म हो जाएगा लेकिन विद्रोही ली ज़िचेंग से क्रोध और नफ़रत भी हो गई। उसने दीवार के दूसरी तरफ स्थित मान्छु नेता दोरगोन से सम्पर्क किया और शानहाइगुआन के द्वार खोल दिए। मान्छु दीवार के इस पार आ गए और उन्होंने वू सांगुई के साथ मिलकर ली ज़िचेंग की सेना को हरा डाला। इस युद्ध को 'शानहाइ दर्रे का युद्ध' कहते हैं। ली ज़िचेंग भागकर ग़ायब हो गया। इसके बाद मान्छुओं के दबाव से डगमगाते हुए मिंग राजवंश का अंत भी हो गया और मान्छुओं ने अपना चिंग राजवंश स्थापित किया।[२]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Frommer's China स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Simon Foster, Jen Lin-Liu, Sharon Owyang, Sherisse Pham, Beth Reiber, Lee Wing-sze, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-0-470-52658-3, ... Shanhaiguan ... the Great Wall gives up its mad zigzagging ... into the sea. On its way it briefly doubles as the eastern city wall of the garrison town on Shanhaiguan (Pass between Mountains and Sea) ...
- ↑ A Global Chronology of Conflict: From the Ancient World to the Modern Middle East स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Spencer C. Tucker, ABC-CLIO, 2009, ISBN 978-1-85109-672-5, ... Battle of Shanhaiguan ... Dorgon responds promptly, arriving with his well-trained army at the strategic Shanhai Pass at Shanhaiguan the next day. Li probably does not know the true strength of the forces against him until the actual battle on May 28 ...