वाद
imported>संजीव कुमार द्वारा परिवर्तित १६:४६, २३ अक्टूबर २०२१ का अवतरण (2401:4900:30E4:2503:4417:108C:36A:B923 (Talk) के संपादनों को हटाकर Saurabh1204 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)
वाद | |
---|---|
![]() 13 वीं शताब्दी एक यहूदी का चित्रण और यहूदी रूपांतरित पेट्रस अल्फोन्सी द्वारा एक काम में एक ईसाई बहस |
वाद एक प्रत्यय है जिसका प्रयोग यदि किसी भी शब्द में शामिल किया जाए तो वह उसके अर्थ में एक विशेष प्रकार का परिवर्तन कर उसकी व्याख्या को किसी विशेष पक्ष में वर्णित कर देता है। सामान्यतः यह प्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होता है जैसे - राष्ट्रवाद, नारीवाद, देववाद, उदारवाद... आदि।
न्यायदर्शन में वाद, न्याय के १६ पदार्थों में से एक है-
- प्रमाण-प्रमेय-संशय-प्रयोजन-दृष्टान्त-सिद्धान्तावयव-तर्क-निर्णय-वाद-जल्प-वितण्डाहेत्वाभास-च्छल-जाति-निग्रहस्थानानाम्तत्त्वज्ञानात् निःश्रेयसाधिगमः ॥
इस शब्द को समझने के लिए हमें वाद विवाद प्रक्रिया को समझना होगा जिसमें वाद के अर्थ किसी विषय की विशेषता, महत्व, उपयोग तथा लाभ आदि को बताया जाता है कि वह विषय या वस्तु अच्छी, सही, उपयोगी व लाभदायक है।
अन्य अर्थ
उक्ति, कहना, विचार, कथन आदि