व्याध
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व्याध मूलत: संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी भाषा में अर्थ होता है शिकारी। वैसे कालिका प्रसाद के वृहत् हिन्दी कोश में इसका अर्थ शिकार द्वारा जीविका चलाने वाली एक संकर जाति बताया गया है जिसे आमतौर पर बहेलिया कहा जाता है। इस शब्द का एक और लाक्षणिक अर्थ नीच या कमीना आदमी भी है।[१]
उदाहरण
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की समर शेष है नामक कविता की ये पंक्तियाँ व्याध को काफी कुछ परिभाषित करती हैं-
"समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।"
मूल
व्याध उस व्यक्ति को कहा जाता है जो जंगली जानवरों को मारता अथवा वध करता है। व्याध को शिकारी भी कहा जाता है। कुछ शौकिया शिकारी होते हैं और कुछ अन्य उपयोग के लिये शिकार करते हैं।
सम्बन्धित शब्द
हिन्दी में
- शिकारी (हिरन आदि पशुओं को मारने वाला), बहेलिया (पक्षियों को जाल में फँसाने वाला), लुब्धक (लालच देकर फँसाने वाला), आखेटक (शौकिया शिकार करने वाला)
अन्य भारतीय भाषाओं में निकटतम शब्द
- अरबी में सय्याद अथवा सैयाद जिसका जिसका अर्थ है धोखे से फँसाकर शिकार करने वाला।[२]
- उर्दू में चिड़ीमार या चिड़ियाँ पकड़ने वाला, जिसे हिन्दी में लुब्धक कहते हैं।
सन्दर्भ
- ↑ कालिका प्रसाद, वृहत् हिन्दी कोश, ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी, संस्करण: 1992, पृष्ठ: 1100
- ↑ मुहम्मद मुस्तफ़ा खाँ 'मद्दाह', उर्दू-हिन्दी शब्दकोश, प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, संस्करण: 1992, पृष्ठ: 668 व 711