खरोष्ठी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित १७:१५, १८ दिसम्बर २०२१ का अवतरण (Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.8.5)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
तारिम द्रोणी में मिला खरोष्ठी में लिखा एक कागज का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी)
भारतीय लिपियों का प्रसार

सिंधु घाटी की चित्रलिपि को छोड़ कर, खरोष्ठी भारत की दो प्राचीनतम लिपियों में से एक है। यह दाएँ से बाएँ को लिखी जाती थी। सम्राट अशोक ने शाहबाजगढ़ी और मनसेहरा के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में ही लिखवाए हैं। इसके प्रचलन की देश और कालपरक सीमाएँ ब्राह्मी की अपेक्षा संकुचित रहीं और बिना किसी प्रतिनिधि लिपि को जन्म दिए ही देश से इसका लोप भी हो गया। ब्राह्मी जैसी दूसरी परिष्कृत लिपि की विद्यमानता अथवा देश की बाएँ से दाहिने लिखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति संभवत: इस लिपि के विलुप्त होने का कारण रहा हो।

नाम की व्युत्पत्ति

प्रारंभ में इसके पढ़ने का प्रयास करनेवाले यूरोपीय विद्वानों ने इसे बैक्ट्रियन, इंडो-बैक्ट्रो-पालि या एरियनो-पालि जैसे नाम दिए थे। खरोष्ठी नाम ललितविस्तर में उल्लिखित 64 लिपियों की सूची में है। इसके नाम की व्युत्पत्ति के संबंध में अनेक मत हैं जिनमें सर्वाधिक मान्य प्रजलुस्की का है। उनके मतानुसार खरोष्ठी का मूल खरपोस्त (ऊखरपोस्त ऊखरोष्ठ) है। पोस्त ईरानी भाषा का वह शब्द है जिसका अर्थ 'खाल' होता है। महामायूरी में उत्तरपश्चिम भारत के एक नगरदेता का नाम खरपोस्त आया है। चीनी परंपरा के अनुसार इसका आविष्कार ऋषि खरोष्ठ ने किया था। लिपि के नाम से व्युत्पत्ति चाहे जो हो, इसमें संदेह नहीं कि इस देश में यह उत्तरपश्चिम से आई और कुछ काल तक, अशोक के अतिरिक्त, मात्र विदेशी राजकुलों द्वारा उनके ही प्रभाव के क्षेत्र में प्रयुक्त होकर उनके साथ ही समाप्त हो गई।

खरोष्ठी लिपि के उदाहरण

खरोष्ठी लिपि के उदाहरण प्रस्तरशिल्पों, धातुनिर्मित पत्रों, भांडों, सिक्कों, मूर्तियों तथा भूर्जपत्र आदि पर उपलब्ध हुए हैं। खरोष्ठी के प्राचीनतम लेख तक्षशिला और चार (पुष्कलावती) के आसपास से मिले हैं, किंतु इसका मुख्य क्षेत्र उत्तरी पश्चिमी भारत एवं पूर्वी अफगानिस्तान था। मथुरा से भी कुछ खरोष्ठी अभिलेख प्राप्त हुए हैं। इनके अतिरिक्त दक्षिण भारत, उज्जैन तथा मैसूर के सिद्दापुर से भी खरोष्ठी में लिखे स्फुट अक्षर या शब्द मिले हैं। मुख्य सीमा के उत्तर एवं उत्तर पूर्वी प्रदेशों से भी खरोष्ठी लेखोंवाले सिक्के, मूर्तियाँ तथा खरोष्ठी में लिखे हुए प्राचीन ग्रंथ उपलब्ध हुए हैं। ई. पू. की चौथी, तीसरी शताब्दी से ईसा की तीसरी शताब्दी तक उत्तरपश्चिम भारत में मथुरा तक खरोष्ठी का प्रचलन रहा। कुषाणयुग के बाद इस लिपि का भारत से बाहर चीनी तुर्किस्तान में प्रवेश हुआ और कम से कम एक शताब्दी वह वहाँ जीवित रही। खरोष्ठी भाषा से हैं झारखंड में खोरठा भाषा का उदय हुआ है जो शुरुआत में खरोठ खरोठी और खोरठा हो गया

खरोष्ठी के उद्भव के संबंध में सर्वाधिक प्रचलित मत है कि हखमनी शासकों को परिस्थितिवश पहले असूरिया और काबुल में प्रयुक्त होनेवाली अरमई () लिपि को शासन संबंधी कार्यों के लिए अपनाना पड़ा और उनके शासन के साथ ही उत्तरपश्चिम भारत में इसका प्रवेश हुआ। आवश्यकतावश कुछ भारतीयों को इसे सीखना पड़ा, किंतु बाद में ब्राह्मी के सिद्धांतों के आधार पर इसमें परिवर्तन हुए और इस प्रकार खरोष्ठी का जन्म हुआ। मुख्य रूप से भारत के ईरान द्वारा अधिकृत प्रदेश में इसका प्रचार, प्राचीन फारसी शब्द दिपि (लिखना) एवं इससे उद्भूत दिपपति शब्दों का अशोक के अभिलेखों में प्रयोग, दीर्घस्वरों का अभाव, ईरानी आहत सिक्कों पर ब्राह्मी अक्षरों के साथ खरोष्ठी अक्षरों की विद्यमानता तथा कुछ खरोष्ठी वर्णों का अरमई के वर्णों से साम्य एवं अनेकों के अरमई वर्णों से उद्भव की प्रतिपाद्यता इस मत के पोषक तत्व हैं।

खरोष्ठी लिपि की कुछ विशेषताएँ

प्रत्येक व्यंजन में अ की विद्यमानता, दीर्घस्वरों एवं स्वरमात्राओं का अभाव, अन्य स्वरमात्राओं का ऋजुदंडों द्वारा व्यक्तीकरण, व्यंजनों के पूर्व पंचम वर्णों के लिए सवंत्र अनुस्वार का प्रयोग तथा संयुक्ताक्षरों की अल्पता खरोष्ठी लिपि की कुछ विशेषताएँ हैं।

इसकी विशेषताओं एवं वर्णों के घसीट स्वरूप से सिद्ध होता है कि यह लिपिकों और व्यापारियों आदि की लिपि थी किंतु खरोष्ठी में लिखी ख़ोतान से प्राप्त पांडुलिपि से इसके एक दूसरे परिष्कृत रूप का अस्तित्व भी सिद्ध होता है, जिसका प्रयोग शास्त्रों के लेखन में होता था।

Kharosthi a.svg Kharosthi i.svg Kharosthi u.svg Kharosthi e.svg Kharosthi o.svg Kharosthi ri.svg
Kharosthi k.svg Kharosthi kh.svg Kharosthi g.svg Kharosthi gh.svg
Kharosthi c1.svg Kharosthi ch.svg Kharosthi j.svg Kharosthi ny.svg
Kharosthi tt.svg Kharosthi tth.svg Kharosthi dd.svg Kharosthi ddh.svg Kharosthi nn.svg
Kharosthi t.svg Kharosthi th.svg Kharosthi d.svg Kharosthi dh.svg Kharosthi n.svg
Kharosthi p.svg Kharosthi ph.svg Kharosthi b.svg Kharosthi bh.svg Kharosthi m.svg
Kharosthi y.svg Kharosthi r.svg Kharosthi l.svg Kharosthi v.svg
Kharosthi sh.svg Kharosthi ss.svg Kharosthi s.svg Kharosthi h.svg
Kharosthi kk.svg Kharosthi ttth.svg ṭ́h

चित्र वीथिका

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ