अरिपन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>SM7Bot द्वारा परिवर्तित १९:००, १७ नवम्बर २०२१ का अवतरण (→‎सन्दर्भ: clean up)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

अरिपन बिहार की लोक चित्रकला है। मिथिला में जितने त्योहार या उत्सव होते हैं उन सबमें आँगन में और दीवारों पर चित्रकारी करने की बहुत पुरानी प्रथा है। आंगन में जो चित्रकारी की जाती है। उसे ‘अरिपन’ (अल्पना) कहा जाता है। इसको बनाने से पहले चावल को काफी देर तक पानी में भिगोने के बाद सिल पर अच्छी तरह पीस लिया जाता है। उसमें थोड़ा पानी मिलाकर एक गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है जिसे ‘पिठार’ कहा जाता है। इसी पिठार से गाय के गोबर या चिकनी मिट्टी से लीपी गई भूमि पर महिलाएँ अपनी उँगलियों से चित्र यानी अरिपन बनाती हैं। प्रत्येक उत्सव या त्योहार के लिए अलग-अलग तरह के अरिपन बनाये जाते हैं।[१]

सन्दर्भ