साँचा:आज का आलेख १६ अप्रैल २००९

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आचार्य विश्वनाथ (पूरा नाम आचार्य विश्वनाथ महापात्र) संस्कृत काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ और आचार्य थे। वे साहित्य दर्पण सहित अनेक साहित्यसम्बन्धी संस्कृत ग्रन्थों के रचयिता हैं। उन्होंने आचार्य मम्मट के ग्रंथ काव्य प्रकाश की टीका भी की है जिसका नाम "काव्यप्रकाश दर्पण" है। साहित्य दर्पण के प्रथम परिच्छेद की पुष्पिका में उन्होंने जो विवरण दिया है उसके आधार पर उनके पिता का नाम चंद्रशेखर और पितामह का नाम नारायणदास था। महापात्र उनकी उपाधि थी। वे कलिंग के रहने वाले थे। उन्होंने अपने को "सांधिविग्रहिक," "अष्टादशभाषावारविलासिनीभुजंग" कहा है पर किसी राजा के राज्य का नामोल्लेख नहीं किया है। साहित्य दर्पण के चतुर्थ परिच्छेद में अलाउद्दीन खिलजी का उल्लेख पाए जाने से ग्रंथकार का समय अलाउद्दीन के बाद या समान संभावित है। विस्तार से पढ़ें