सिरका
सिरका या चुक्र (Vinagar) भोजन का भाग है जो पाश्चात्य, यूरोपीय एवं एशियायी देशों के भोजन में प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होता आया है।
किसी भी शर्करायुक्त विलयन के मदिराकरण के अनंतर ऐसीटिक (अम्लीय) किण्वन (acetic fermentation) से सिरका या चुक्र (Vinegar, विनिगर) प्राप्त होता है। इसका मूल भाग ऐसीटिक अम्ल का तनु विलयन है पर साथ ही यह जिन पदार्थों से बनाया जाता है उनके लवण तथा अन्य तत्व भी उसमें रहते हैं। प्रायः भोजन के लिये प्रयुक्त सिरके में ४% से ८% तक एसेटिक अम्ल होता है। विशेष प्रकार का सिरका उसके नाम से जाना जाता है, जैसे-मदिरा सिरका (Wine Vinegar), मॉल्ट (यव्य या यवरस) सिरका (Malt Vinegar), अंगूर का सिरका, सेब का सिरका (Cider Vinegar), जामुन का सिरका और कृत्रिम सिरका इत्यादि।
रसायनिक और भौतिक गुण
सिरके का पीएच मान (pH value) प्रायः 2.4 से 3.4 होता है। भोजन में प्रयुक्त सिरके में प्रायः ४% से ८% तक एसेटिक अम्ल होता है।
सिरका का घनत्व लगभग 0.96 g/mL होता है। घनत्व का स्तर सिरके की अम्लता पर निर्भर करता है। खाना पकाने मे इस्तेमाल होने वाला सिरके का घनत्व 1.05 g/mL होता है।
इतिहास
इसकी उत्पत्ति बहुत प्राचीन है। आयुर्वेद के ग्रंथों में सिरके का उल्लेख औषधि के रूप में है। बाइबिल में भी इसका उल्लेख मिलता है। 16वीं शताब्दी में फ्रांस में मदिरा सिरका अपने देश के उपभोग के अतिरिक्त निर्यात करने के लिए बनाया जाता था।
सिरके के बनने में शर्करा ही आधार है क्योंकि शर्करा ही पहले ऐंजाइमों से किण्वित होकर मदिरा बनती है और बाद में उपयुक्त जीवाणुओं से एसिटिक अम्ल में किण्वित होती है। अंगूर, सेब, संतरे, अनन्नास, जामुन तथा अन्य फलों के रस, जिनमें शर्करा पर्याप्त है, सिरका को तैयार करने के लिए बहुत उपयुक्त हैं क्योंकि उनमें जीवाणुओं के लिए पोषण पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं। फलशर्करा और द्राक्ष-शर्करा का ऐसीटिक अम्ल में रासायनिक परिवर्तन निम्नलिखित सूत्रों से अंकित किया जा सकता है:
ये दोनों ही क्रियाएँ जीवाणुओं (Bacteria) के द्वारा होती हैं। यीस्ट (ख़मीर) किण्वन में ऐल्कोहॉल की उत्पत्ति किण्वित शर्करा की प्रतिशत की आधी होती है और सिद्धांततः ऐसीटिक अम्ल की प्राप्ति ऐल्कोहॉल से ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि दूसरी क्रिया में ऑक्सीजन का संयोग होता है, लेकिन प्रयोग में इसकी प्राप्ति उतनी ही होती है क्योंकि कुछ ऐल्कोहॉल जीवाणुओं के द्वारा तथा कुछ वाष्पन द्वारा नष्ट हो जाते हैं।
बनाने की विधि
इसे बनाने में दो विधियाँ काफी प्रचलित हैं:
- (1) मन्द गति विधि - इस विधी के अनुसार किण्वनशील पदार्थ को जिसमें 5 से 10 प्रतिशत ऐल्कोहॉल होता है, पौधों या कड़ाहों में रख दिया जाता है। ये बर्तन तीन चौथाई तक भरे जाते हैं ताकि हवा के संपर्क के लिए काफी स्थान रहे। इसमें थोड़ा सा सिरका जिसमें एसीटिक अम्लीय जीवाणु होते हैं डाल दिया जाता है और किण्वन क्रिया धीरे-धीरे आरंभ हो जाती है। इस विधि के अनुसार किण्वन धीरे-धीरे होता है और इसके पूरा होने में 3 से 6 माह तक लग जाते हैं। ताप 30 ० सें. से 35 ० सें. इसके लिए उपयुक्त है।
- (2) तीव्र गति विधि - यह औद्योगिक विधि है और इसका प्रयोग अधिक मात्रा में सिरका बनाने के लिए किया जाता है। बड़े-बड़े लकड़ी के पीपों को लकड़ी के बुरादे, झामक (Pumice), कोक (Coke) या अन्य उपयुक्त पदार्थों से भर देते हैं ताकि जीवाणुओं को आलंबन और हवा के संपर्क की सुविधा प्राप्त रहे। इनके ऊपर ऐसीटिक और ऐल्कोहॉलीय जीवाणुओं को धीरे-धीरे टपकाते हैं और फिर जिस रस से सिरका बनाना है उसे ऊपर से गिराते हैं। रस के धीरे-धीरे टपकने पर हवा पीपे में ऊपर की ओर उठती है और अम्ल तेजी से बनने लगता है। क्रिया तब तक कार्यान्वित की जाती है जब तक निश्चित अम्ल का सिरका नहीं प्राप्त हो जाता।
तरह-तरह के सिरके
माल्ट सिरका (Malt Vinegar)
माल्टीकृत अनाज (Malted grains, प्राय: जौ) से मद्यशाला या आसवनी (Distillery) की भाँति बाश (Wash) प्राप्त किया जाता है। फिर ऐसीटिक (अम्लीय) बैक्टीरिया के किण्वन से सिरका प्राप्त होता है। मदिरा सिरका (Wine Vinegar) उपर्युक्त दोनों विधियों से सुगमता से प्राप्त होता है।
सेब का सिरका (Cider Vinegar)
साधारण प्रयोग के लिए तीखा सिरका सेब या नासपाती के छिलके से बनाया जाता है। इन छिलकों को पानी के साथ किसी भी पत्थर के मर्तबान में रख देते हैं और उसमें कुछ सिरका या खट्टी मदिरा डालकर गर्म स्थान में रख देते हैं और कुछ दिनों बाद उसमें इच्छानुसार पानी डालते हैं एक-दो हफ्ते में सिरका तैयार हो जाता है। एक चौड़े मुंह वाला बर्तन लें। इसमें सेब के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर डाल दें। अब इसे खुला छोड़ दे। कुछ समय बाद सेब के टुकड़े लाल होने शुरू हो जाएंगे। अब जार के मुंह तक पानी भर दें। अब इसे आप कुछ दिन के लिए ऐसे ही छोड़ दें। कुछ दिन बाद जार के ऊपर सूती कपड़ा बांधकर अंधेरे स्थान पर रख दें। कुछ-कुछ दिन पर इसकी देखभाल करते रहे। करीब एक महीने बाद आप सूती कपड़े की मदद से इस मिश्रण को एक अलग बर्तन में छान लें। सेब के गले हुए टुकड़ों को अलग फेंक दे। बाकी बचा हुआ मिश्रण सेब के सिरका होगा।
काष्ठ सिरका (Wood Vinegar)
काष्ठ के भंजन आसवन से ऐसीटिक अम्ल की प्राप्ति होती है। यह तनु ऐसीटिक अम्ल (3 ºÉä 5%) है और इसकी कैरेमेल (Caramel) से रंजित कर देते हैं। कभी-कभी एथिल ऐसीटेट से सुगंधित भी किया जाता है।
कृत्रिम सिरका (Synthetic Vinegar)
सिरके की विशेष आवश्यकता पर कृत्रिम ऐसीटिक अम्ल के तनु विलयन को कैरेमेल से रंजित करके प्रयोग में लाया जाता है।
मानक तथा "विश्लेषण" (Standard and analysis)
अधिकांश सिरकों का मानक यह है कि न्यूनतम ऐसीटिक अम्ल 4% होना चाहिए।
कुछ सिरकों का विश्लेषण भी निम्नलिखित है-
विशिष्ट गुरुत्व | सेब का सिरका | मदिरा सिरका | माल्ट सिरका |
---|---|---|---|
ऐसीटिक अम्ल % | 4.84 | 6.55 | 4.23 |
कुल ठोस % | 2.49 1.93 | 2.70 | - |
राख % | 0.34 | 0.32 | 0.34 |
शर्करा % | 0.25 | 0.46 | - |
बाहरी कड़ियाँ
- सिरके के १००१ उपयोग स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (अंग्रेजी में)
- Review of Apple Cider Vinegar
- The Vinegar Institute
- Pesticides Database - Acetic Acid
- Medscape - Vinegar: Medicinal Uses and Antiglycemic Effect
- Vinegar Connoisseurs International
- Apple Cider Vinegar Overview
- Freeze Distillation of Vinegar "jacking" to increase concentration