लाहौल और स्पीति जिला

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लाहौल -स्पीति
—  हिमाचल प्रदेश का जिला  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश साँचा:flag
राज्य हिमाचल प्रदेश
मुख्यालय केलांग


Deputy Commissioner
जनसंख्या
घनत्व
३३,२२४
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साक्षरता 73.10%%
क्षेत्रफल साँचा:km2 to mi2
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साँचा:coord लाहौल और स्पीति भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय केलांग है। हिमाचल प्रदेश के दो पूर्व जिलों लाहौल और स्पीति के विलयोपरांत, अब लाहौल और स्पीति एक जिला है। विलय के पूर्व लाहौल का मुख्यालय करदंग और स्पीति का मुख्यालय दनकर था।

क्षेत्रफल - 12210 वर्ग कि॰मी॰

जनसंख्या - 33224 (2001 जनगणना)

साक्षरता - 73.1%

एस.टी.डी (STD) कोड - 91-01900

जिलाधिकारी - (सितम्बर 2006 में)

समुद्र तल से ऊंचाई - 10050 फुट

अक्षांश - उत्तर

देशांतर - पूर्व

औसत वर्षा - कम+9

हिमपात - भारी

भूगोल

लाहौल और स्पीति अपनी ऊंची पर्वतमाला के कारण शेष दुनिया से कटा हुआ है। रोहतांग दर्रा 3,978 मी की ऊंचाई पर लाहौल और स्पीति को कुल्लू घाटी से पृथक् करता है। जिले़ की पूर्वी सीमा तिब्बत से मिलती है, उत्तर में लद्दाख भू-भाग (जम्मू और कश्मीर में स्थित) और किन्नौर एवं कुल्लू दक्षिण सीमा में हैं।

यातायात

Mountain peaks, Lahul.jpg

लाहौल अवधाव एवं भूस्खलन के लिए प्रसिद्ध है और इस कारण कई यात्री इस रास्ते से गुजरते हुए मारे गए हैं। अपनी स्थानीय महत्वता के कारण यहां बनी नई पक्की सड़क को मई से नवम्बर तक खुला रखा जाता है जो कि लद्दाख तक जाती है। रोहतांग दर्रे के नीचे एक सुरंग बनाई जा रही है जिसकी २०१२ तक पूरी होने की आशा है। हर साल, आलू एवं मटर, जो कि अब यहां की प्रमुख फसल है, बड़ी तादाद में रोहतांग दर्रे के रास्ते मनाली भेजी जाती है।

स्पीति से दक्षिण-पश्चिमी तिब्बत के लिए और भी दर्रे हैं किन्तु वो अब भारत एवं तिब्बत के मध्य बन्द सीमा के कारण बन्द कर दिए गए हैं। यहां से एक सड़क पश्चिम को जम्मू की तरफ़ किश्तवाड़ से गुजरती है।

कुन्जम दर्रा (४५५० मी• ऊंचाई पर स्थित) लाहौल और स्पीति को एक दूसरे से अलग करता है। एक सड़क लाहौल और स्पीति को एक दूसरे से जोड़ती है किन्तु सर्दियों एवं वसंत ऋतु में भारी हिमपात के कारण यह रास्ता बंद हो जाता है।

गर्मियों में मनाली से स्पीति के मुख्यालय, काजा़ तक के बीच बसें व टैक्सियां चलती हैं। कुन्जोम दर्रा जुलाई से अक्टूबर तक यातायात के लिए खुला रहता है। शिमला से स्पीति तक किन्नौर से होते हुए एक सड़क है।

मौसम

की गोम्पा का स्तूप और स्पीति नदी

अपनी ऊंचाई के कारण लाहौल और स्पीति में सर्दियों में बहुत ठंड होती है। गर्मियों में मौसम बहुत सुहावना होता है। शीतकाल में ठंड के कारण यहां बिजली व यातायात की बेहद कमी हो जाती है जिस कारण यहां पर्यटन में भारी कमी हो जाती है। हालांकि स्पीति पूरे साल शिमला से काज़ा पुराने भारत-तिब्ब्त के रास्ते से अभिगम्य होता है। उधर लाहौल जून तक अभिगम्य नहीं होता परन्तु दिसम्बर से अप्रैल के बीच साप्ताहिक हेलिकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध रहती हैं।

स्पीति की अत्याधिक शीत के कारण यहां टुन्ड्रा पेड़-पौधे तक नहीं पनप पाते और सारा इलाका बंजर रहता है। स्पीति की सबसे निचली घाटी में गर्मियों में भी तापमान २० डिग्री के उपर नहीं पहुंचता।

वनस्पति

लाहौल की कठिन परिस्थितियों के कारण केवल कुछ कड़ी घास एवं झाड़ियां ही यहाँ उग पाती हैं, वो भी ४००० मीटर के नीचे। ५००० मीटर के उपर हिमनद रेखाएं पाई जाती

लाहुल स्पीती के महत्वपूर्ण स्थान

कुंजुम पास

कुंजुम पास इस जिले का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस पास के द्वारा स्पीती घाटी में दाखिल हुआ जाता है। कुंजुम पास का नाम यहाँ पर कुंजुम माता के नाम पर पड़ा है। यह मन जाता है की जिसका मन सच्चा होता है माता उसका हाथ से चिपका हुआ सिक्का माता की मुर्ति में चिपक जाता है। अतः इसकी कारण यहाँ पर श्रद्धालु अपनी आस्था को प्रकट करने क लिए माता की मूर्ति पर सिक्के चिपकाने का प्रयास करते हैं। कुंजुम पास के पास चन्द्र ताल है जोकि राष्ट्रीय राजमार्ग 22 पर स्थित है।

बाहरी कड़ियां