ओजोन परत
ओज़ोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। ओज़ोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है। यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 90-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओज़ोन यहां मौजूद है।[१] यह मुख्यतः स्ट्रैटोस्फियर(समताप मंडल) के निचले भाग में पृथ्वी की सतह के ऊपर लगभग 10 किमी से 50 किमी की दूरी तक स्थित है, यद्यपि इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलती रहती है।
ओजोन की परत की खोज 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। इनसे पहले भी वैज्ञानिकों ने जब सूर्य से आने वाले प्रकाश का स्पेक्ट्रम देखा तो उन्होंने पाया कि उसमें कुछ काले रंग के क्षेत्र थे तथा 310 nm से कम वेवलेंथ का कोई भी रेडिएशन सूर्य से पृथ्वी तक नहीं आ रहा था.[२] वैज्ञानिकों ने इससे यह निष्कर्ष निकाला कि कोई ना कोई तत्व आवश्य पराबैगनी किरणों को सोख रहा है, जिससे कि स्पेक्ट्रम में काला क्षेत्र बन रहा है तथा पराबैंगनी हिस्से में कोई भी विकिरण दिखाई नहीं दे रहे हैं।[३]
सूर्य से आने वाले प्रकाश के स्पेक्ट्रम का जो हिस्सा नहीं दिखाई दे रहा था वह ओजोन नाम के तत्व से पूरी तरह मैच कर गया, जिससे वैज्ञानिक जान गए कि पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन ही वह तत्व है जो कि पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर रहा है. इसके गुणों का विस्तार से अध्ययन ब्रिटेन के मौसम विज्ञानी जी एम बी डोबसन ने किया था। उन्होने एक सरल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर विकसित किया था जो स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन को भूतल से माप सकता था। सन 1928 से 1958 के बीच डोबसन ने दुनिया भर में ओज़ोन के निगरानी केन्द्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया था, जो आज तक काम करता है (2008)। ओजोन की मात्रा मापने की सुविधाजनक इकाई का नाम डोबसन के सम्मान में डोबसन इकाई रखा गया है.[४]
ओज़ोन
ओज़ोन गंधयुक्त गैस होती है जो हल्के नीले रंग की होती है। ओज़ोन परत में ओज़ोन गैस की मात्रा अधिक पाई जाती है। ओज़ोन ऑक्सीजन का ही एक प्रकार है और इसे O3 के संकेत से प्रदर्शित करते हैं। ऑक्सीजन के जब तीन परमाणु आपस में जुड़ते है तो ओज़ोन परत बनाते है। एक ओजोन एक परत है जो पृथ्वी के समताप मंडल के ऊपर मध्य मंडल के नीचे दोनों के बीच में है यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है रक्षा करता है वर्तमान वैज्ञानिक युग में तीव्र गति से चलने वाली वायुयान से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं वातानुकूल लक तथा प्रति शतक आदि में से निकलने वाली क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैसों से ओजोन मंडल नष्ट हो रहा है यदि समय रहते ओजोन परत को बचाने हेतु कारगर प्रयास नहीं किए गए तो परिणाम भयानक हो सकता हैं से त्वचा का कैंसर आंखों मैं दुष्प्रभाव आदि।