राजकुमारी हिमाल और नागराय
राजकुमारी हिमाल और नागराय या हिमाल और नागराई[१] एक कश्मीरी लोककथा है, जिसे ब्रितानी श्रद्धेय जेम्स हिंटन नोल्स द्वारा उनकी पुस्तक “फोक-टेल्स ऑफ कश्मीर”(कश्मीरी लोककथाएँ) में संकलित कर प्रकाशित किया गया है।[२]
सारांश
नोल्स के नागराय और हिमाल नामक संस्करण में, सोदाराम नामक एक गरीब ब्राह्मण अपनी किस्मत पर अफसोस करता है। उसकी एक बुरे स्वभाव वाली पत्नी थी। एक दिन सोदाराम हिंदुस्तान की तीर्थ यात्रा पर जाने का निर्णय लेता है, क्योंकि एक स्थानीय राजा गरीबों को पाँच लाख रुपये देता है। यात्रा के दौरान वह थोड़ी देर के लिए आराम करने के लिए रुक जाता है। पास के एक झरने से एक साँप आता है और उसके झोले में घुस जाता है। वह जानवर को देखता है और अपनी पत्नी को एक जाल में फँसाने का षड्यंत्र रचता है ताकि साँप उसे काट ले। वह झोला लेकर घर लौटता है और अपनी पत्नी को देता है। जैसे ही वह महिला झोले को खोलती है उसमें से एक सर्प निकलता है और एक मनुष्य का रूप ले लेता है। दंपति उस नागराय नाम के लड़के का पालन-पोषण करते हैं तथा अमीर हो जाते हैं।
लड़का अपनी आयु से अत्यधिक बुद्धिमान होता है। एक दिन वह अपने पिता से पूछता है कि वह एक शुद्ध सोता कहाँ पा सकता है जिसमें वह स्नान कर सके। सोदाराम राजकुमारी हिमाल के बगीचे में एक कुंड की ओर इशारा करते हैं, जो राजा के सैनिकों द्वारा अत्यधिक संरक्षित है।
विरासत
इस कहानी को कश्मीरी कवि दीनानाथ नदीम द्वारा एक ओपेरा में रूपांतरित किया गया था।[३]
संदर्भ
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ Dhar, Somnath. Jammu and Kashmir (India, the land and the people). India: National Book Trust, 1982. p. 117.