अद्वैत आचार्य
अद्वैत आचार्य | |
---|---|
अद्वैत आचार्य और सीत देवी की काष्ठ की मूर्तियाँ (सीतानाथ अद्वैत मन्दिर, नवद्वीप) | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
गुरु/शिक्षक | माधवेन्द्र पुरी |
दर्शन | भक्ति योग, अचिन्त्य भेद अभेद |
धर्म | हिन्दू |
दर्शन | भक्ति योग, अचिन्त्य भेद अभेद |
के लिए जाना जाता है | साँचा:if empty |
अद्वैत आचार्य (मूल नाम कमलाक्ष भट्टाचार्य ; 1434 - 1559), [१] चैतन्य महाप्रभु के सखा तथा हरिदास ठाकुर के गुरु थे। [२] [३] वे श्री चैतन्य महाप्रभु के अन्तरंग पार्षदों में से एक थे तथा सदाशिव एवं महाविष्णु के अवतार माने जाते हैं। यह उनकी प्रार्थनाओं द्वारा आह्वाहन का ही प्रतिफल था जिसके कारण श्री चैतन्य महाप्रभु इस पृथ्वी पर अवतरित हुए ।
अद्वैत आचार्य का जन्म श्री चैतन्य से लगभग पचास वर्ष पूर्व 1434 में लाउड (वर्तमान सुनामगंज जिला, बांग्लादेश ) के नवग्राम में हुआ था। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन अपनी पत्नी और परिवार के साथ नादिया के शांतिपुर (वर्तमान मतीगंज) में बिताया। अद्वैत आचार्य के छह पुत्र थे, अच्युतानन्द दास, कृष्ण मिश्र, गोपाल दास, बलराम दास मिश्र, स्वरूप दास और जगदीश मिश्र।
अद्वैत आचार्य के वंश और जीवन का वर्णन कई ग्रन्थों में किया गया है, जिसमें संस्कृत में कृष्णदास का बाल्यालीलासूत्र (1487? ) और बंगाली में नरहरिदास का अद्वैतविलास । [४] उनकी कई गतिविधियों का वर्णन चैतन्य चरितामृत, चैतन्यमङ्गल और चैतन्य भागवत में किया गया है।
रचनावली
अद्वैत आचार्य ने संस्कृत में दो ग्रन्थों की रचना की।[५]
- योगवासिष्ठ-भाष्य
- गीता-भाष्य
अद्वत आचार्य के बारे में मुख्यतः निम्नलिखित ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं-
- वाल्यलीलासूत्र (१४८७) - हरकृष्ण दास द्वारा संस्कृत में रचित। इसमें अद्वैते आचार्य के बाल्यकालीन लीला का वर्णन है।
- अद्वैतप्रकाश (१५६९) - ईशान नागर द्वारा बांग्ला में रचित।
- अद्वैतमङ्गल - हरिचरण दास द्वारा बांग्ला में रचित।
- अद्वैतमङ्गल - श्यामदास द्वारा बांग्ला में रचित।
- अद्वैतविलास (१८वीं शताब्दी ) - नरहरि दास द्वारा बांग्ला में रचित।
सन्दर्भ
- ↑ "Shantipur parichoy"-Kalikrishna Bhattacharaya&"Samajer Pratichhabi Bises Shantipur Sankhya."-editor-Satya Narayan Goswami. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।p. 52
- ↑ Brzezinski, J.A.N. (2004). "Charismatic Renewal And Institutionalization In The History Of Gaudiya Vaishnavism And The Gaudiya Math". The Hare Krishna Movement: The Postcharismatic Fate of a Religious Transplant. Columbia University Press. ISBN 978-0-231-12256-6. Retrieved 2008-06-07.
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ Sen, Dinesh Chandra (1911). History of Bengali Language and Literature, Calcutta: University of Calcutta, pp.496-7
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।