प्रच्छाया , उपछाया और अग्रछाया
प्रच्छाया , उपछाया और अग्रछाया एक छाया के पास तीन अलग भाग होते हैं। जब किसी अपारदर्शी वस्तु पर एक किसी प्रकाश स्रोत प्रकाश पड़ता है तो ये छाया बनतीं हैं । कोई विवर्तन नहीं है , प्रकाश का सामानांतर पुंज किसी वस्तु पर पड़ता है तो केवल प्रच्छाया ही बनती है ।
इन नामों का उपयोग अक्सर आकाशीय पिंडों द्वारा डाली गई छाया के लिए किया जाता है, हालांकि कभी-कभी इनका उपयोग छाया के स्तरों का वर्णन करने के लिए भी किया जाता है, जैसे कि सौर कलंक में ।
प्रच्छाया
प्रच्छाया (Latin: Umbra) एक छाया के अंदर और सबसे गाढ़ा भाग है, जहां प्रकाश स्रोत पूरी तरह से उस पिण्ड या वस्तु से अवरुद्ध है जो प्रकाश स्रोत का ग्रसन कर रही है (या उसको ढक रही है )। प्रच्छाया को छायागर्भ भी कह सकते हैं। प्रच्छाया या छायागर्भ के भीतर एक दर्शक पूर्ण ग्रहण का अनुभव करता है। एक गोल प्रकाश स्रोत के सामने यदि एक गोल वस्तु आती है तो प्रच्छाया का आकार एक शंकु जैसा बनता है। शंकु के शीर्ष से देखने पर प्रकाश स्रोत और उसका ग्रसन कर रही वस्तु एक ही आकार के दिखाई देते हैं । चंद्रमा से उसकी प्रच्छाया के शीर्ष तक की दूरी लगभग चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी के बराबर है: 384,402 किलोमीटर (384,402 मील) । चूँकि पृथ्वी का व्यास चंद्रमा के व्यास का 3.7 गुना है, इसलिए इसकी प्रच्छाया इसी अनुपात में बड़ी है : लगभग 14 लाख किलोमीटर । [१]
उपछाया
उपछाया (Latin: penumbra) वह क्षेत्र है जिसमें ग्रसन कर रही वस्तु ने प्रकाश स्रोत को केवल आंशिक रूप से ढका है । उपछाया में दर्शक आंशिक ग्रहण का अनुभव करता है। एक वैकल्पिक परिभाषा यह है कि उपछाया वह क्षेत्र है स्रोत का प्रकाश आंशिक रूप से अवरुद्ध है ।
अग्रछाया
अग्रछाया वह क्षेत्र है जहाँ से ग्रसन करने वाला पिण्ड पूरी तरह से प्रकाश स्रोत के भीतर दिखाई देता है । इस क्षेत्र में एक पर्यवेक्षक एक वलयाकार ग्रहण का अनुभव करता है, जिसमें ग्रसन पिण्ड के चारों ओर एक चमकीला वलय दिखाई देता है। यदि प्रेक्षक प्रकाश स्रोत के करीब जाने लगता है, तो ग्रसन पिण्ड का आभासी आकार प्रेक्षक के प्रच्छाया में जाने तक बढ़ता रहता है । [२]
यह सभी देखें
- एंटीसोलर पॉइंट
- पृथ्वी की छाया
संदर्भ