चुलकाना
साँचा:if empty Chulkana | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
राज्य | हरियाणा |
ज़िला | पानीपत ज़िला |
तहसील | समालखा |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | ११,७९३ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | हरियाणवी, हिन्दी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
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चुलकाना (Chulkana) भारत के हरियाणा राज्य के पानीपत ज़िले में स्थित एक गाँव है।[१][२][३]
विवरण
यह स्थान दो धार्मिक व्यक्तित्वों के लिए प्रसिद्ध है - बाबा लाकेश्वर और खाटू श्याम जी। यहाँ दोनों के नाम के मन्दिर स्थापित हैं और श्रद्धा का केन्द्र हैं।©// श्री चुनकट ऋषि लकीसर बाबा जी की कथा //
सतयुग में चुलकाना धाम में चुनकट ऋषि लकीसर बाबा ने घोर तपस्या की चुलकाना धाम का नाम चुनकट ऋषि के नाम पर रखा गया है, ओर सुर्यवंशी राजा जो चक्रवर्ती सम्राट हुआ जिसके पास 72 अक्षौनी सैना थी, उसके साथ युद्ध हुआ, जिसके प्रमाण आज भी मौजुद है । उस राजा का नाम है चकवा बैन था। यह भगवान श्री राम के पुर्वज थे, चुलकाना धाम में उस दौरान एक राजा हुए चकवा बैन, जिसको इतिहास में बैन के नाम से भी जाना जाता है, जो राजा अंग का पुत्र है। चकवा बैन का पुत्र पृथु हुआ जो भगवान विष्णु का नौंवा अवतार हुआ, मत्सय पुराण, विष्णु पुराण आदि पुराणों में राजा बैन का वर्णन मिलता है, यही राजा चकवा बैन कहलाया जो चक्रवती सम्राट हुए जिनका पुरे पृथ्वी लोक मृत्तुलोक पर राज हुआ करता था । उन्होंने घोषणा की कि मेरे राज्य में जो भी जीव हैं वो मेरा अन्न जल ही ग्रहण करेगा, ये फरमान जारी कर दिया गया, तो बाबा के पास भी राजा के सेवक भोजन का निमत्रंण लेकर पहुंचे लेकिन चुनकट ऋषि ने मना कर दिया । उसके बाद स्वंय चकवा बैन चुलकाना धाम में आकर चुनकट ऋषि को भोजन ग्रहण करने के लिए कहते है लेकिन चुनकट ऋषि राजा चकवा बैन को भी मना कर देते है, और कहते है कि मैनें व्रत धारण किया हुआ ऋषि लोग व्रत रखते है इसलिए में राज अंश नहीं खा सकता, तब राजा ने संदेश भिजवाया कि या तो मेरा अन्न जल ग्रहण करो नहीं तो मेरे राज्य से बाहर चले जाओ, या मेरे साथ युद्ध करो । बाबा ने उसकी नगरी को (राज्य) को छोड़ना ही उचित समझा और वो यंहा से चल पड़े । पृथ्वी के आखिरी छोर पर पहुंचें जहाँ के बाद पानी ही पानी नजर आ रहा है । उसी दौरान भगवान ने एक लीला दिखाई बाबा को एक बहुत ही सुंदर हिरण सागर किनारे पानी की प्यास बुझाने के लिए जैसे ही पानी पीने लगा तभी पीछे से एक बब्बर शेर दोड़ता हुआ आ रहा है, तभी हिरण ने आवाज लगाई । हे राजन (चकबाबैन) दुहाई हो आपके राज्य में एक निर्बल की हत्या होने से बचाओ, तभी एक हथियार (चक्र) आता है और उस शेर की गर्दन अलग कर देता है, तभी बाबा लकीसर को आभास होता है कि यहाँ भी उसका राज है और वहाँ भी क्यों न अपनी तपोभूमि में जाकर उसका सामना किया जाये, तब बाबा वापिस अपने उसी स्थान तपोभूमि में (चुलकाना धाम) पहुँच गये । राजा को फिर पता चला उन्होनें फिर संदेश भेजा,बाबा ने कहा में यही पर रहूँगा और आपका अन्न जल कभी ग्रहण नही करूँगा, तब राजा ने क्रोधित होकर बाबा को युद्ध लड़ने के लिए कहाँ । रात्रि में बाबा ने भगवान के नाम की धूनी लगाई ब्रह्म मुहूर्त में वेद मंत्रों के द्वारा 2½ कुशा तैयार की सुबह पहली कुशा से राजा चकवा बैन की 72 अक्षौनी सेना खत्म कर दी, जैसे ही राजा चकवा बैन का घमंड टुटा वो चुनकट ऋषि के चरणों में क्षमा याचना करने लगा चुनकट ऋषि ने दुसरी कुशा फैंक दी राजधानी पर राजधानी धरती में गर्क हो गई, जिसको आज सतकुम्भा खेडी के नाम से जाना जाता है। आधी कुशा को आदेश दिया द्वापर में जाने का, जो द्रोपदी के नाम से प्रसिद्ध हुई, तभी से बाबा चुनकट की इस तपोभूमि का नाम चुनकट वाला पड़ गया जो आज चुलकाना धाम के नाम से विख्यात है।
► सतयुग का यह इतिहास चुलकाना धाम को धार्मिक तीर्थ स्थान होने का प्रमाण देता है, चुलकाना धाम को भारतवर्ष की 84 सिध्द पीठों में शामिल होने का गौरव प्राप्त है।
||चुलकाना धाम की जय || ||श्री चुनकट ऋषि जी महाराज की जय || || बाबा लकीसर की जय || ||श्री श्याम बाबा की जय ||
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "General Knowledge Haryana: Geography, History, Culture, Polity and Economy of Haryana," Team ARSu, 2018
- ↑ "Haryana: Past and Present स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Suresh K Sharma, Mittal Publications, 2006, ISBN 9788183240468
- ↑ "Haryana (India, the land and the people), Suchbir Singh and D.C. Verma, National Book Trust, 2001, ISBN 9788123734859