साँचा:वैज्ञानिक समाजवाद

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कार्ल मार्क्स एंजिल्स द्वारा प्रतिपादित समाजवादी विचारधारा को वैज्ञानिक समाजवाद के नाम से जाना जाता है।कार्ल मार्क्स का दृष्टिकोण अनिवार्यता पूर्व कालीन समाजवादियों की उपेक्षा पूर्णतया वैज्ञानिक था मार्क्स के पूर्व के समाजवादी विचारक आर्थिक विषमता के स्थान पर धन कन्या योजना वितरण पर बल देते थे लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि यह विषमता किन कारणों से उत्पन्न होती है और उसका उत्पादन की विधियों के साथ क्या संबंध है।उन्होंने विद्यमान अवस्था को सुधारने के लिए कोई क्रियात्मक व्यवहारिक दर्शन भी प्रदान नहीं किया था इसके कारण इनकी विचारधारा को कल्पना वादी समाजवाद के नाम से जाना जाता है।

     मार्क्स ने आधुनिक समाज का बड़ी गुप्ता और आलोचनात्मक दृष्टि से अध्ययन किया है उसने पूंजीवाद के दोषों का वर्णन करने के साथ-साथ पूंजीवाद का अंत कर वर्ग भी समाज की स्थापना करने के लिए एक विधिवत प्रक्रिया का निरूपण भी किया है उसके द्वारा द्वंदात्मक भौतिकवाद तथा इतिहास की आर्थिक व्याख्या के आधार पर अब तक के घटना चक्र की व्याख्या प्रस्तुत की गई है और इस प्रकार उसने समाजवाद को उसकी भावुक तथा काल्पनिक पृष्ठभूमि से निकालकर उसे वैज्ञानिक रूप प्रदान किया है केवल इतना ही नहीं बल्कि समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के उद्देश्य से उसके द्वारा विश्व के मजदूर एक हो जाओ इन शब्दों में श्रमिक वर्ग का क्रांति के लिए आवाहन किया गया है उसके द्वारा श्रमिक वर्ग को संगठित करने का भी प्रत्येक संभव प्रयत्न किया गया है इस दृष्टि से 1834 "प्रथम अंतरराष्ट्रीय" की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम था इस प्रकार उसने विद्यमान व्यवस्था की व्याख्या करने के अतिरिक्त विश्व की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को परिवर्तित करने का एक व्यापारिक मार्ग बताया है।