अनीता (1967 फ़िल्म)

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अनीता
चित्र:Anita 1967.jpg
अनीता का पोस्टर
निर्देशक राज खोसला
अभिनेता साधना,
मनोज कुमार,
आई एस जौहर,
साजन,
चाँद उस्मानी,
मुकरी,
धूमल,
बेला बोस,
शिवराज,
मधुमती,
बीरबल,
हेलन,
प्रदर्शन साँचा:nowrap १९६७
देश भारत
भाषा हिन्दी

साँचा:italic title

अनीता १९६७ में बनी हिन्दी भाषा की ससपँस फिल्म है जिसका निर्देशन राज खोसला ने किया है। यह फ़िल्म खोसला-साधना की ससपँस फ़िल्मों की कड़ी में अंत्तिम फ़िल्म है। इससे पहले इन दोनों ने वो कौन थी और मेरा साया बनाई थीं। इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार साधना एवं मनोज कुमार हैं।

संक्षेप

नीरज और अनीता एक दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन यह बात अनीता के पिता को नहीं भाती है क्योंकि अनिता एक संपन्न परिवार की लड़की है जबकि नीरज एक मामूली सी नौकरी करता है। अनीता नीरज को रजिस्टर्ड विवाह के लिए लेकर जाती है लेकिन वहाँ उसके पिता आ जाते हैं और अनीता को धमकी देते हैं कि यदि उसने रजिस्टर पर हस्ताक्षर किये तो अंजाम बहुत बुरा होगा। अनीता बिना हस्ताक्षर किये ही वहाँ से चली जाती है। नीरज उसके घर जाता है लेकिन अनीता उससे बात करने से मना कर देती है। उस समय अनीता के घर में अनिल शर्मा नाम का व्यक्ति आया होता है जिसका परिचय अनीता के पिता नीरज से यह कह कर करते हैं कि वह शहर का एक बहुत बड़ा व्यवसायिक है और अब अनीता का मंगेतर है। नीरज मायूस होकर अपना तबादला दिल्ली करा लेता है। इधर सगाई के दिन अनीता घर से ग़ायब हो जाती है और अपने पिता के नाम एक ख़त छोड़ जाती है जिसमें लिखा होता है कि अब वह कभी वापस नहीं आयेगी और उसे ढूंढने की कोशिश न की जाए। उधर दिल्ली में नीरज को अनीता का एक पत्र मिलता है कि उसकी जान और इज़्ज़त ख़तरे में है। पत्र पढ़ते ही नीरज वापस अपने शहर आ जाता है और उसका दोस्त उसे यह सूचना देता है कि अनीता ने आत्महत्या कर ली है। नीरज यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाता है और अनीता के पिता से मिलने जाता है। अनीता के पिता उसे बताते हैं कि अनीता बिन ब्याही माँ बनने वाली थी। नीरज अनिल शर्मा से मिलता है और अनिल शर्मा उसे बताता है कि अनिता बहुव्यक्तित्व विकार की मरीज़ है और उसे समय-समय पर ऐसे दौरे आते हैं। लेकिन जब नीरज अनीता की आत्महत्या की जगह पर जाता है तो उसको अनीता दिखती है और उसके उपरान्त जगह-जगह पर वो उसको दिखाई देती है जिससे उसको संदेह होने लगता है और अंत में पता चलता है कि अनिल शर्मा एक नामी तस्कर है जिसकी प्रेमिका वास्तव में माँ बनने वाली थी और अनिल ने उसको मारकर दुनिया को यह जताया था कि जिस औरत की लाश बरामद हुयी है वह अनीता की है और उसने अनीता के पिता को भी यह धमकी देकर अपनी ओर मिला लिया था कि अगर वे उसकी बात नहीं मानेंगे तो वह अनीता को भी ख़त्म कर देगा। अंत में पुलिस के हाथों अनिल मारा जाता है और नीरज और अनीता का मिलन हो जाता है।

मुख्य कलाकार

दल

संगीत

फ़िल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित है और गीत राजा मेहदी अली ख़ान, आनंद बख्शी और आरज़ू लखनवी द्वारा लिखे गए हैं।

क्र॰शीर्षकगीतकारगायकअवधि
1."गोरे गोरे चाँद से मुख पे"आरज़ू लखनवीमुकेश05:15
2."है नज़र का इशारा"आनंद बख्शीलता मंगेशकर, उषा मंगेशकर05:26
3."करीब आ ये नज़र"राजा मेहदी अली ख़ानलता मंगेशकर04:19
4."पिछवाड़े बुड्ढा खाँसता"Rराजा मेहदी अली ख़ानलता मंगेशकर05:04
5."सामने मेरे सांवरिया"राजा मेहदी अली ख़ानलता मंगेशकर04:39
6."तुम बिन जीवन कैसे बीता"राजा मेहदी अली ख़ानमुकेश04:19
7."अनीता (शीर्षक संगीत)"-इंस्ट्रुमेंटल01:55
8."थीम संगीत"-इंस्ट्रुमेंटल03:58

रोचक तथ्य

परिणाम

बौक्स ऑफिस

समीक्षाएँ

नामांकन और पुरस्कार

बाहरी कड़ियाँ