कान्हड़देव चौहान

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कान्हड़देव के बारे में जानकारी के स्रोत:- ग्रंथ/पुस्तकें-लेखक कान्हड़देव प्रबन्ध-पद्मनाभ, वीरमदेव फ़िरोज़ा री बात - पद्मनाभ (खिलजी की पुत्री फिरोज कान्हड़देव के पुत्र वीरमदेव से प्रेम करती थी।), तारीख-ए-फरिश्ता - फरिश्ता, नैणसी री ख्यात - मुहणोत नैणसी, ख्वाजाइन-उल-फतुह - अमीर खुसरौ

कान्हडदेव जालोर के चौहानों में सबसे प्रतापी राजा था उसके पुत्र का नाम वीरमदेव था जो अलाउद्दीन ख़िलजी से युद्ध करता हुआ वीरगति को प्राप्त हो गये थे ।

कान्हड़देव के सेनापति दहिया राव बीका ने लालच में आकर अलाउद्दीन खिलजी को जालौर दुर्ग में प्रवेश के गुप्त मार्ग बताये जिस से खिलजी की सेना दुर्ग में प्रवेश कर जाती है और कान्हड़देव युद्ध मे लड़ते हुए मारे जाते हैं। दहिया की इस करतूत से दुखी होकर उसकी पत्नी हीरा दे ने दहिया की गला काट कर हत्या कर दी, लेकिन पति की इस धोखेबाजी को वो कान्हड़देव चौहान को बताती उस से पहले ही खिलजी की सेना ने किले में प्रवेश कर लिया था।