भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स तथा अर्धचालक निर्माण उद्योग
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग ने 21 वीं सदी के शुरुआती वर्षों में वृद्धि देखी। यह सरकार की नीतियों और प्रोत्साहन से तथा अंतर्राष्ट्रीय निवेश के कारण सम्भव हुआ। घरेलू मांग में तेजी से अर्धचालक उद्योग को लाभ हुआ। अर्धचालक की माँग बहुत बड़ी संख्या में उद्योगों को थी जैसे दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, औद्योगिक मशीनरी और स्वचालन, चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग, बिजली और सौर फोटोवोल्टिक, रक्षा और एयरोस्पेस, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, आदि। हालांकि, 2015 तक 65 से 70 प्रतिशत बाजार आयात पर निर्भर थे। [१]
इलैक्ट्रॉनिक्स उद्योग
आंकड़े और रुझान
बाजार का आकार
खपत के मामले में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार विश्व के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। यह २०१२ में 69.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जो 2020 में बढ़कर 400 अमरीकी डॉलर तक हो गया। यह सब मुख्यतः मांग में हुई वृद्धि के कारण हुआ है।
घरेलू उत्पादन
2012-13, 2013-14 और 2014-15 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामानों के कुल घरेलू उत्पादन क्रमशः INR 164,172 करोड़, INR 180,454 करोड़ और INR 190,366 करोड़ थे। [२] 2020 तक भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण उद्योग 104 बिलियन अमेरिकी डॉलर के तुल्य इलेक्ट्रॉनिक सामान का उत्पादन करने का अनुमान है। 2013-14 में यह आँकड़ा 32.46 बिलियन यूएसडी था।
वित्त वर्ष 2013 में, वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 1.6% थी। इसमें संचार और प्रसारण उपकरण खंड का हिस्सा 31℅ था जबकि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स का हिस्सा 23% था। [३]
निर्यात और आयात
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का एक शुद्ध आयातक है। भारत का अधिकांश आयात चीन से आता है। 2015 में, इलेक्ट्रॉनिक्स आयात सोने के आयात से भी अधिक हो गया। इस प्रकार कच्चे तेल के तुरंत बाद इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं का आयात सबसे अधिक हुआ। [५] IIT दिल्ली में भौतिकी में प्रोफ़ेसर विक्रम कुमार ने 2019 में खुलासा किया कि भारत तेल की तुलना में अर्धचालक के आयात पर अधिक पैसा खर्च कर रहा है। [६]
निर्यात
वित्त वर्ष २०१३ में भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का अनुमान लगभग 7.66 बिलियन अमेरिकी डॉलर था था। 2013-14 में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में दूरसंचार क्षेत्र का हिस्सा सर्वाधिक था, इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, उपकरणों, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटिंग का स्थान था। विदेशों में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की बढ़ती मांग के पीछे तकनीकी सुधार और प्रतिस्पर्धी लागत प्रभावशीलता प्रमुख ड्राइवर माने जाते हैं।
आयात
2012-13, 2013-14 और 2014-15 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामानों का कुल आयात क्रमशः INR 1,79,000 करोड़ , INR 1,95,900 करोड़ और INR 2,25,600 करोड़ होने का अनुमान था। [२] वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2003-04 में फोन का आयात 665.47 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2013-14 में 10.9 बिलियन डॉलर हो गया है। इसी अवधि में चीन से फोन का आयात 64.61 मिलियन डॉलर से बढ़कर 7 बिलियन डॉलर हो गया है। [७] 2013-14 में, भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स व्यापार घाटे का मान 23.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
सरकार की पहल
अर्धचालक उद्योग
इन्हें भी देखें
- भारत की अर्थव्यवस्था
- भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
- स्टैंडअप इंडिया
- मेक इन इंडिया
- डिजिटल इंडिया
- कौशल भारत
- भारत में मोटर वाहन उद्योग
- ताइवान में सेमीकंडक्टर उद्योग
संदर्भ
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