श्रेणी:पंचोपचार
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पूजन विधि
सर्वप्रथम पंचदेव पूजन मेँ पाँच देवताओं का पूजन किया जाता है
श्री गणेश जी, शंकर भगवान , दुर्गा माता (भवानी, पार्वती) विष्णु भगवान एवं सूर्यदेव
पूजन की मुख्यतः दो विधि है.
विस्तृत विधि या षोडशोपचार पूजन
- इस विधि के अंतर्गत भगवान का पूर्ण विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है जिसमें सोलह क्रमबद्ध उपचार (तरीके) हैं
संक्षिप्त विधि या पंचोपचार पूजन
- इस विधि के अंतर्गत भगवान का संक्षिप्त विधि (सुगम विधि) के साथ पूजन होता है.
- पूजन की इस विधि मेँ पाँच मुख्य उपचार (कर्तव्य) हैं
- भगवान को स्नान कराने तथा वस्त्र पहिराने के उपरांत
- चन्दन, केसर, रोचन, आदि (अष्ट गंध) अनामिका उंगली द्वारा अर्पित करें - भगवान को लगाएँ - रोली और अक्षत लगाएँ
- पुष्पम समर्पयामि - प्रभु के चरणों मेँ ताजे पुष्प अर्पित करें सभी देवों के लिए कुछ विशेष पुष्प भी हैं जिन्हें अवश्य चढ़ाएँ। भगवान को माला पहिनायेँ
- गणेश जी को दूर्वा , शंकर जी को बिल्व पत्र, दुर्गा जी को लाल पुष्प (गुलाब), विष्णु भगवान को कमल, और सूर्य देव को लाल कनेर ( सभी को सफ़ेद पुष्प भी चढ़ा सकते हैं, बेला, गेंदा, तगर, पीला कनेर, आदि )
- धूप निवेदन - भगवान को धूप निवेदित करें इसके लिए दियासलाई की नई सलाई प्रयोग करके जलाएँ (गुग्गुल, अगर, गुलाब आदि की धूप )
- (अगरबत्ती का प्रयोग न करें तो उत्तम होगा - सनातन धर्म मेँ बांस का जलाया जाना शुभ नहीं माना जाता है )
- आरती - नीराजन करना - आरती के लिए शुद्ध घी का प्रयोग उत्तम है अथवा तेल से भी किया जा सकता है - कर्पूर के द्वारा भी आरती करें
- आरती की थाल दाहिने हाथ मेँ लेकर देव के दाहिनी तरफ घूमायेँ और बाएँ हाथ से घंटी बजाएँ .
- अपने स्थान पर खड़े होकर दो बार दाहिनावर्त घूमें - परिक्रमा करें .
- भगवान जी की आरती गावें - ॐ जय जगदीश हरे तथा कर्पूर गौरं करुणावतारम संसार सारं----- अवश्य गायें
- शंख ध्वनि करें
- नैवेद्य समर्पयामि - थाली मेँ नैवेद्य सजाकर भगवान को समर्पित करें - शुद्ध घी मेँ बने भोज्य पदार्थ भोग हेतु प्रस्तुत करें - गिलास मेँ पीने के लिए जल अवश्य रखें .
- नैवेद्य मेँ तुलसी पत्र डाल कर थाली के चारों जल घुमायेँ ओर घंटी बजाएँ
- कम से कम कोई मीठी चीज़ तो होनी ही चाहिए - मिश्री, इलायची दाना, लड्डू , पेड़ा (स्टील के बजाए तांबे के बर्तन मेँ नैवेद्य प्रस्तुत करें)
- नैवेद्य मेँ तुलसी पत्र डाल कर थाली के चारों जल घुमायेँ ओर घंटी बजाएँ
- भगवान को स्नान कराने तथा वस्त्र पहिराने के उपरांत
- मंत्र जप व श्लोक पाठ आदि के द्वारा भगवान को प्रसन्न करें
- अपना अभीष्ट निवेदित करें
- पूजन मे हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना करें