खरसाली

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खारसाली उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह समुद्र तल से लगभग 2675 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं| खारसाली में सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी होती हैं यमुनोत्री जाते हुए यात्री सर्दियों के दौरान बर्फ बारी के कारण, देवी यमुना के मंदिर में ही विश्राम करते हैं|

यह जगह प्राकृतिक स्प्रिंग्स और झरने से ढके प्राकृतिक परिवेशों के कारण यात्रियों के बीच एक लोकप्रिय पिकनिक स्थान है। खारसाली में भारत का सबसे पुराना शनि देव मंदिर है। यात्री चार धाम यात्रा के दौरान भगवान शनि के दर्शन करके यमनोत्री जाते हैं| कहा जाता है कि, शीतकालीन मौसम के दौरान देवी यमुना की मूर्ति शनि देव मंदिर में रखी जाती है। मंदिर पत्थरों, लकड़ी और मोर्टार से बना एक तीन मंजिला मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था। भगवान शनि देव की कांस्य मूर्ति को चाया, सांग्या और नाग देवता के साथ यहां रखा गया है।

यहाँ हर साल भाई दूज या याम द्वितिया के अवसर पर दीवाली के दो दिन बाद, देवी यमुना की मूर्ति मंदिर में लाई जाती है और सर्दियों के अंत तक यहां पूजा की जाती है। यहां एक और दिलचस्प आकर्षण एक प्राचीन भगवान शिव मंदिर है। यहां भगवान शिव को उनके सोमेश्वर रूप में अवतरित किया गया है।

Shani Temple Uttarkashi शनि देव मंदिर शनिदेव मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के खरसाली गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर है । यह मंदिर हिंदूओं के देवता शनिदेव को समर्पित है , जिन्हें एक पौराणिक कथा के अनुसारहिंदू देवी यमुना का भाई माना जाता है | कहा जाता है कि शनिदेव न्यायाधीश हैं , जो हर कर्म का हिसाब करते हैं । यह मंदिर समुद्री तल से लगभग 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है । इस मंदिर की कलाकृति बेहद ही प्राचीन है | शनि मंदिर के बारे में इतिहासकार मानते है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने करवाया है एवम् इस पांच मंजिला मंदिर के निर्माण में पत्थर और लकड़ी का उपयोग किया गया है । जिससे कि निर्माण में लकड़ी के बांसों के इस्तेमाल से यह खतरे के स्तर से ऊपर रहता है तथा बाढ़ से इसको बचाने में मदद मिलती है । शनिदेव की कांस्य मूर्ति शीर्ष मंजिल पर स्थित है।

खरसाली में स्थित इस मंदिर का अपना अलग ही महत्व है । शनि मंदिर में एक अखंड ज्योति मौजूद है । कहा जाता है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं । खरसाली में ही मां यमुना अपने शीतकाली प्रवास के लिए आती है और खास बात यह है कि खरसाली में मां यमुना के भाई शनिदेव भी मौजूद हैं । यह मंदिर लकड़ी के पत्थरों से तैयार किया गया है । इसकी कलाकृति शैली बेहद ही प्राचीन है । यमनोत्री धाम से लगभग 5 किलोमीटर पहले ये मंदिर पड़ता है । हर साल शनि मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं एवम् मंदिर में शनि देव 12 महीने तक विराजमान रहते हैं । सावन की सन्क्रान्ति में खरसाली में तीन दिवसीय शनि देव मेला आयोजित किया जाता है।

यहाँ तक कैसे पहुचे? यहाँ तक आप आसानी से पहुच सकते हैं |

हवाई जहाज – निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा हैं यहाँ से खरसाली की दूरी लगभग 195 किलोमीटर हैं यहाँ से आप कार अथवा टैक्सी से आसानी जा सकते हैं|

ट्रेन- निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन हैं यहाँ से खरसाली की दूरी लगभग 171 किलोमीटर हैं यहाँ से आप कार अथवा टैक्सी से आसानी से जा सकते हैं|