रहइन परब

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>Rabindrapatna द्वारा परिवर्तित १७:२०, १५ फ़रवरी २०२२ का अवतरण
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

रहइन परब मुल रुप से छोटानागपुर और इसके आसपास मनाए जाने वाला पर्व है, ये पर्व मुलत खेती से जूङा हुआ पर्व है,

रहइन परब
चित्र:रहइन परब .jpg
कुङमालि संस्कृति
उद्देश्य बीज पुन्हा
तिथि 13 दिन धरनमास

साँचा:main other

रहइन परब पर विशेष

कुड़मि एक जाति है ।इसके प्राय: सभी पर्व त्यौहार कृषि कर्म से जुड़ा हुआ है ।जेठ महिने के 13 दिन को विशेषकर कुड़मी महतो समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है- रहइन परब पूर्ण रूप से कृषि कर्म वह वंदन बांदन से जुड़ा पर्व है रहइन दिन सवेरे यानी भोर लगभग 3:00 से 4:00 बजे प्रत्येक घर की एक एक महिला सबसे पहले उठकर गोबर का चिन्ह हाथ से अपने घर के बाहरी दीवारों के चारों ओर देती है। यह कार्य एक योग के माध्यम से करती है ।इसमें किसी का टोकना या बातचीत करना मना रहता है यदि यह कार्य पूर्ण रूप से योग से करती है तो उस घर में साल भर किसी प्रकार का कोई बिच्छू, सांप आदि प्रवेश नहीं करते हैं ।इसके बाद घर - आंगन लीपापोती कर घर का बड़ा आदमी जो कृषि कार्य में संलग्न रहता है ।वह एक डूबा में बिहन बीज लेता है ।भूत पीड़ा और ग्राम थान में देने के पश्चात उसे गमछा या धोती में ढक कर अपने खेत में लेकर जाता है और खेत के उत्तर-पूर्व कोना में विधिवत इस बीज को बोता है ।इस क्रम में वह किसी से कोई बातचीत नहीं करता है इसे 'बीज पुन्यहा" कहते हैं ।घर में महिलाएं नहा धोकर पेछिया को गोबर से पोतती है, फिर अपने मापक की वस्तुएँ जैसे पेछिया, पेइला, पुवा,टोकी आदि को धोकर गुड़ी देकर सिंदूर का टीका लगाती है और भुत पीड़ा के सामने रखती है ।इसके बाद अच्छी फसल की कामना हेतु पूजा अर्चना की जाती है ।पुजा मे कबूतर , बत्तख, बकरी आदि की बलि भी दी जाती है ।शाम को घर की कुंवारी लड़की अपने सीमा यानी खेत को छोड़कर दूसरे के खेत से रहइन मिट्टी लाती है। जिससे लाने के क्रम में वह किसी से बातचीत नहीं करती है ।इस मिट्टी को भूत पीड़ा में रखा जाता है और फिर इससे प्रत्येक घर के तीन कोना में रखा जाता है। शेष बचा मिट्टी को यत्नपूर्वक रखते हैं और जब बीज खेत में डाला जाता है उस समय भी बीच में यह मिट्टी मिलाया जाता है। पूजा अर्चना मैं भी इस मिट्टी का तिलक लिया जाता है छुआइत होने पर भी इसका उपयोग होता है। रइहन दिन आषाड़ी फल खाने का विधान है। हमारे पूर्वजों का मान्यता है की रहइन दिन कई प्रकार के विषाक्त जीव पृथ्वी के गर्भ से बाहर निकलते हैं ।अतः इस दिन यह फल खाने से इन सब जीवों के काटने से बिस का प्रभाव कम होता है।इस दिन से नीम का सब्जी खाना भी बंद रहता है। सभार- हरे किसनअ हिंदइआर

इन्हें भी देखें