रॉथम्स्टेड अनुसन्धान

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रॉथम्स्टेड अनुसन्धान का विहंगम दृश्य
रॉथम्स्टेड अनुसन्धान के संस्थापक सर जे. बी. लॉज़

रॉथम्स्टेड अनुसन्धान (Rothamsted Research) यूके के हार्पेन्डेन में स्थित एक कृषि अनुसन्धान संस्थान है। इसकी स्थापना १८४३ में हुई थी और यह विश्व के सबसे पुराने क्र्षि अनुसन्धान संस्थानों में से एक है। पहले इसका नाम 'रॉथम्स्टेड इक्सपेरिमेन्टल स्टेशन' था, बाद में 'इन्स्टीट्यूट ऑफ अरेबल क्रॉप्स रिसर्च' रखा गया, जिसे बदलकर अब इसका वर्तमान नाम रखा गया है।

इस संस्थान में 'पार्क ग्रास प्रयोग' नामक एक प्रयोग १८५६ में आरम्भ किया गया था और अब भी चल रहा है।

इतिहास

इस संस्थान की नींव १८४३ ई. में सर जे. बी. लॉज़ (J. B. Lawes) ने डाली, जिनका सम्पर्क सर जे. एच. गिल्बर्ट के साथ लगभग ६० वर्ष तक रहा। लॉज़ की १९०० ई. में तथा गिल्बर्ट की १९०१ ई. में मृत्यु हुई। सन् १९०२ ई. से १९१२ ई. तक सर ए. डी. हॉल तथा १९१२ ई. से १९४३ ई. तक सर ई. जे. रसेल ने उनका स्थान ग्रहण किया। १९४३ ई. में सर विलियम आंग संचालक नियुक्त किए गए।

अनेक वर्षों तक इस अनुसंधान केंद्र का कार्य, प्रथम तो सर जे. बी. लॉज़ से प्राप्त धन से तथा १८८९ ई. के पश्चात् लॉज़ ऐग्रिकल्चरल ट्रस्ट में इनके द्वारा प्रदत्त १,००,००० पाउंड की धनराशि से प्राप्त आय से, चलता था। अनुसंधान केंद्र के विकास हेतु धन की व्यवस्था करने के उद्देश्य से १९०४ ई. में एक समिति का निर्माण किया गया। १९०६ ई. में श्री जे. एफ. मेसन ने बैक्टीरियोलॉजिकल प्रयोगशाला स्थापित की। १९०७ ई. में गोल्डस्मिथ कंपनी ने उदारतापूर्वक १०,००० पाउंड के एक अन्य दान की व्यवस्था की, जिसकी आय, जो कंपनी ने बाद में बढ़ा दी, मृदा संबंधी अनुसंधानों में व्यय की जाती है। सन् १९११ में विकास आयोग ने अनुसंधान केंद्र को प्रथम अनुदान दिया। तब से प्रति वर्ष सरकारी अनुदान मिलते रहे हैं।

सन् १९१९ में प्रयोगशालाओं का मुख्य खंड खोला गया। पीछे कुछ अन्य खंड खुले।

१९४५ ई. में रिबर्स लॉज अनुसंधान केंद्र की एक इमारत, जो प्रयोगशालाओं के दक्षिण तरफ है, सांख्यिकी विभाग द्वारा प्रयुक्त की जाती है।

१९४३ ई. में रॉथम्स्टेड लॉज स्थापन के लिए एक भवन मोल लिया गया, जो कीटशास्त्र, मधुमक्खी अनुसंधान एवं परामर्श विभागों के उपयोग में आने लगा।

१९४७ ई. में इंस्टिट्यूट ऑव पैरासाइटॉलोजी के डा. टी. गूंडे के संरक्षण में होनेवाला प्लांट न्यूमोलोलोजी का कार्य रॉम्स्टेड अनुसंधान केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया। इस विभाग के लिए एक नई प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है।

विशाल काँच भवन तथा वाइरस के अध्ययन हेतु विशिष्ट कीट दुष्प्रभाव से सुरक्षित भवन, कृषि, मंत्रालय, इंपायर मारकेटिंग बोर्ड तथा रॉकफेलर फाउंडेशन के उदारतापूर्ण अनुदानों से १९२६ ई. १९२८ ई. तथा १९३१ ई. में निर्मित किए गए। वनस्पति रोगनिदान संबंधी प्रयोगों के लिए १९३५ ई. में नए भवनों की एक श्रेणी का, जिसमें कुछ भवन कीट दुष्प्रभाव से सुरक्षित भी थे, निर्माण किया गया।

१९४० ई. में एक विशाल नवीन दक्षिण पक्ष का निर्माण पूर्ण हुआ तथा रसायनविज्ञान संबंधी प्राचीन प्रयोगशालाओं का पुनर्निर्माण किया गया। इस विकास एवं पुनर्निर्माण द्वारा रसायन विज्ञान, जीवरसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान तथा कीटाणु जीवविज्ञान विभागों के लिए स्थान की सुंदर व्यवस्था हो गई। इनके अतिरिक्त पॉट कल्चर हाउसेज़ की एक सुंदर श्रेणी का निर्माण हुआ। एक नवीन प्रयोगशाला का निर्माण तथा उसकी साजसज्जा भी इंपीरियल कालेज ऑव साइंस तथा टेक्नॉलोजी के कर्मचारियों हेतु की गई।

सन् १८३४ में २५० एकड का रॉथम्स्टेड होम फार्म सर जान लाज के प्रबंध में रखा गया। सन् १९१३ में वर्तमान इमारतों के स्थान पर, इमारतों की प्रथम श्रेणी का निर्माण हुआ। सन् १९३०-३२ में इनका विकास किया गया तथा ये विद्युत् शक्ति एवं प्रकाश हेतु सुसज्जित की गई। १९३९-४० ई. में इनका और अधिक विकास किया गया तथा इन इमारतों तक बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की गई।

सन् १९४८ में निनिंगन फील्ड में ६ कृषि क्षेत्रीय भवनों का निर्माण किया गया तथा प्रयोगशालाओं के पीछे से लेकर कृषि क्षेत्र तक पक्की सड़क बनाई गई।

सन् १९२८ में विद्यमान आर्थिक परिस्थितियों का सामना करने के लिए कृषि क्षेत्र के अनुसंधानीय भाग को सुसंगठित किया गया। अधिकांश क्षेत्र में स्थायी घास लगाई गई तथा गाय, भैंस और भेड़ें रखी गईं। सन् १९३९ में यह नीति परिवर्तित कर दी गई। ले फार्मिग प्रारम्भ की गई तथा युद्धकालीन परिस्थितियों का सामना करने के लिए क्षेत्रफल बढ़ा दिया गया।

सन् १९२१ में इंग्लैंड में अनुसंधानों का विभिन्न, बाहरी केंद्रों तक किया गया प्रसार इतना उपयोगी सिद्ध हुआ कि इसका और अधिक विकास किया गया। इसके द्वारा न केवल किसानों तक उपयोगी सूचना ही पहुँचती है, बल्कि अनुसंधान केंद्र का परामर्शदात्री संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों से संपर्क भी घनिष्ठ होता जाता है। प्रसार के सिलसिले में १९२६ ई. में अनुसंधान केंद्र में वोवर्न अनुसंधान क्षेत्र ले लिया। इस प्रकार रॉथम्स्टेड के भारी तथा वोर्वन के हल्के भूखंड पर साथ ही साथ प्रयोग करने की सुविधा प्राप्त हुई।

मई, सन् १९३४ में रॉथम्स्टेड स्थापन के समीपस्थ कुछ भाग तथा कृषिक्षेत्र का मोल लेने के संबंध में होनेवाली बातचीत पूरी हुई। अब रॉथम्स्टेड के संरक्षकों के पास प्रयोगशालाओं की भूमि अनुसंधान एवं साधारण कृषिक्षेत्र, नांट वुड, मेनर हाउस तथा मैदान, मैनेजर का मकान तथा ८ अन्य मकान है। कुल क्षेत्रफल ५२७ एकड़ है। इसका क्रयमूल्य ३५,००० पाउंड था, जो चंदे द्वारा एकत्रित धन है। सर रॉबर्ट मैकडूगल तथा अन्य लोगों से उदारतापूर्ण अनुदान प्राप्त हुए। किसानों, ग्राम्य स्कूल अध्यापकों तथा अन्य सूत्रों से चंदे के रूप में धन प्राप्त हुआ।

रॉथम्स्टेड की कार्यवाही इंग्लैंड तक ही सीमित नहीं है, वरन् अन्य देशों तक क्रमश: प्रसारित होती जा रही है। कॉमनवेल्थ की कृषि सम्बन्धी महत्वपूर्ण समस्याओं के हल करने में इस अनुसंधान केंद्र का नियमित सहयोग रहता है।

उत्तर स्नातकीय छात्रों के लिए अनुसंधान संबंधी सुविधाएँ इस केंद्र में उपलबध हैं, परन्तु दुर्भाग्यवश स्थानाभाव के कारण अतिरिक्त कार्यकर्ताओं की संख्या अत्यंत सीमित है।

शकॉमनवेल्थ ब्यूरो ऑव सॉयल सायंस, जो १० इसी प्रकार की संस्थाओं में से एक है तथा जो कृषिशास्त्र संबंधी सूचनाओं के प्रसार केंद्र के रूप में है, सन् १९२९ ई. में रॉथम्स्टेड में स्थित है। रॉथम्स्टेड अनुसंधान केंद्र में कृषि संबंधी अनुसंधान इतने अधिक हुए हैं कि उनका संक्षिप्त वर्णन भी देना संभव नहीं है।