मल्ल राज्य
यह लेख रामायण और महाभारत आदि महाकाव्यों में वर्णित 'मल्ल राज्य' के बारे में है।
मल्ल गणों या मल्ल महाजनपद के बारे में जानने के लिए 'मल्ल महाजनपद' देखें।
नेपाल के इतिहास में १२वीं शताब्दी में स्थापित राजवंश के लिए देखें, 'मल्ल राजवंश' ।
महाकाव्यों में वर्णित मल्ल राज्य गंगा के मैदान में कोसल और विदेह के मध्य में स्थित था। महाभारत में वर्णित है कि महाबली भीम ने युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय पूरब में स्थित एक मल्ल शासक को जीता था। वर्तमान समय में पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत में पायी जाने वाली 'मल्ल' जाति का सम्बन्ध इसी राज्य से बताया जाता है।
भगवान राम के बाद कोशल राज्य को दो भाग में बांट कर उनके दो पुत्र शासन करने लगे। लव श्रावस्ती को राजधानी बनाकर अयोध्या समेेेत आधा कोशल राज्य में राज करते थे जबकि कुश कुशीनगर को राजधानी बनाकर पूर्वी कोशल राज्य में राज करते थे। बाद में अयोध्या से बुलावा आने पर कुशीनगर का जिम्मेदारी भगवान लक्ष्मण के पुत्र चन्द्रकेतु को दिया गया। चन्द्रकेतु मल्ल युद्ध में निपुण थे इसलिए चन्द्रकेतु द्वारा शासित राज्य को 'मल्ल देश' या 'मल्ल भूमि' या 'मल्ल राष्ट्र' कहा जाने लगा। और यही बाद में मल्ल महाजनपद नाम से जाना जाने लगा। लगभग सभी मल्ल राजाओं पर महात्मा बुद्ध का बहुत प्रभाव था।
मल्ल देश के एक राजा महाराज विश्वसेन (सम्भवतः १००० ई.सा. पूर्व ) के ९३वें वंशज राजा रघुवंश मल्ल ने सन् १३०० के आसपास मझौली राज की स्थापना की और ये मल्ल कुल अपने आपको चन्द्रकेतु के वंशज बताते हैं और अपना उपनाम 'मल्ल विशेन' लिखते हैं मल्ल उपनाम के लोग भारत के उत्तर प्रदेश,बिहार, उत्तराखंड सहित नेपाल में निवास करते हैं और महाराज विश्वसेन के नाम से बने इस वंश विशेन से यह विशेन राजपूत/विशेन क्षत्रिय कहलाते हैं।[१][२]