कस्तूरचंद डागा

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Sir, CIE, KCIE, Diwan Bahadur

कस्तूरचंद डागा
Statue of Kasturchand Daga, Nagpur - panoramio (cropped).jpg
दिसंबर 1924 में नागपुर में कस्तूरचंद डागा की प्रतिमा, जिसका अनावरण तत्कालीन गवर्नर सर फ्रैंक स्ली ने किया था।[१]
Born1855
Diedजनवरी 21, 1917
Occupationव्यवसायी, परोपकारी और राय बहादुर बंसीलाल अबीरचंद (RBBA) कंपनी के मालिक
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Notable work
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Spouse(s)अमृतबाई डागासाँचा:main other
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सर सेठ कस्तूरचंद डागा, CIE, KCIE, दीवान बहादुर (1855-1917) एक उद्योगपति, जमींदार, परोपकारी, और एक अग्रणी व्यक्ति थे जिन्होंने व्यापार के हब-एंड-स्पोक मॉडल की अवधारणा रखी। वह नागपुर से थे। [२] उन्हें 1911 के दिल्ली दरबार ऑनर्स में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा भारतीय ब्रिटिश साम्रराज्य के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान नाइट कमांडर से सम्मानित किया गया था। [३]

कस्तूरचंद ने नागपुर से अपनी उद्यमशीलता और बैंकिंग यात्रा शुरू की और लाहौर (अब पाकिस्तान में) से यांगून (तब बर्मा) तक अपने बैंकिंग व्यवसाय का विस्तार किया, जिसमें यूरोप तक का लेन-देन हुआ।[२]

वह तत्कालीन मध्य प्रांत में नागपुर के मॉडल मिल्स, और डांग मिल्स सहित हिंगनघाट और बडनेरा (अब महाराष्ट्र) में कई कपड़ा मिलों के संस्थापक थे। उनकी कंपनी, राय बहादुर बंसीलाल अबीरचंद (आरबीबीए) कंपनी, जिनकी विभिन्न क्षेत्रों में 22 से अधिक उद्यम थे, उन समय में कई सौ करोड़ रुपये के थे।[२]

उन्होंने बैंक ऑफ़ बंगाल में एक खज़ानची के रूप में और नागपुर इलेक्ट्रिक लाइट एंड पावर कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।[४] 21 जनवरी, 1917 को सर कस्तूरचंद डागा का निधन हो गया।[५]

लोकोपकार

नागपुर के कस्तूरचंद पार्क का नाम उनके नाम पर रखा गया है। उन्होंने 12 नवंबर, 1908 को 25,000 रुपये जमा करके पार्क में नागपुर की दूसरी औद्योगिक प्रदर्शनी का आयोजन किया था।[६] डागा एक परोपकारी व्यक्ति थे और उन्होंने टैंकों, कुओं, स्कूलों, अस्पतालों, धर्मशालाओं और बाजारों जैसे सार्वजनिक उपयोगिता के कार्यों का निर्माण किया था। उन्होंने नागपुर में डागा अस्पताल की स्थापना की, जो अब नागपुर महानगर पालिका के अधीन है।

कस्तूरचंद पार्क के लिए भूमि भी उनके द्वारा दान की गई थी। लेडी अमृतबाई डागा कॉलेज, नागपुर में स्थित एक महिला कॉलेज, जिसका नाम उनकी पत्नी अमृतबाई डागा के नाम पर रखा गया था, उस समय उनके योगदान में से एक था जब महिलाओं की शिक्षा समाज में अंतिम प्राथमिकता थी।[२]

कस्तूरचंद डागा ने 3.7 लाख रुपये का दान दिया था, जिससे बीकानेर में पहली रेलवे लाइन के निर्माण की सुविधा मिली।[२][७]

सम्मान और खिताब

  • उन्होंने 1880 में बीकानेर राज्य से राय बहादुर की उपाधि प्राप्त की; 1887 में ब्रिटिश सरकार से राय बहादुर; 1903 में दीवान बहादुर।[४]
  • उन्हें के.आई.एच. रजत पदक 1898 में प्राप्त हुआ।[४]
  • डागा को 1909 के न्यू ईयर ऑनर्स में केम्पेनियन ऑफ़ द मोस्ट एमिनेंट आर्डर ऑफ़ द इंडियन एम्पायर से सम्मानित किया गया और फिर 1911 के दिल्ली दरबार ऑनर्स में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा भारतीय साम्राज्य के सबसे प्रतिष्ठित सम्कामान नाइट कमांडर से सम्मानित किया गया।[५]

सन्दर्भ