मनोहर पुरोहित
फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित (जन्म: ९ अगस्त १९४३, छोटी सादड़ी, राजस्थान) (जीवित मान लिए जाने के बाद विंग कमांडर) १९७१ के युद्ध में गायब या पाकिस्तान द्वारा बंदी बना लिए गए, ५४ सैनिक अधिकारियों और सैनिकों में से एक है।[१][२]
मनोहर पुरोहित | |
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जन्म |
९ अगस्त १९४३ |
आवास | आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत |
राष्ट्रीयता | भारत |
नागरिकता |
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व्यवसाय | वायु सेना अधिकारी |
कार्यकाल | १३ मार्च १९६६ - १० दिसंबर १९७१ |
गृह स्थान | छोटी सादड़ी, राजस्थान, भारत |
प्रसिद्धि कारण | १९७१ के भारत-पाक युद्ध से लापता ५४ सैन्य-अधिकारियों और सैनिकों में से एक |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू धर्म |
जीवनसाथी | सुमन पुरोहित |
बच्चे | विपुल पुरोहित |
इतिहास
फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित आगरा एयरबेस पर तैनात थे। लगभग ९ या १० दिसंबर १९७१ की रात मनोहर पुरोहित ब्रिटिश द्वारा बनाए गए कैनबरा बॉम्बर जहाज लेकर अपने दो साथियों लेफ्टिनेंट आर डी नैथानी और जी थियोफिलस के साथ, पाकिस्तान की तरफ सीमा से लगभग १५० किलोमीटर दूर गए थे। वहां से लौटते समय, राजस्थान की भारतीय सीमा के पास उनके लड़ाकू विमान को गोली लग गई थी और उन्हें मरा हुआ मान लिया गया था।
१९७९ मैं तत्कालीन विदेशी मामलों के राज्यमंत्री समरेंद्र कुंडू ने ऐसे ५४ अधिकारियों और सैनिकों की सूची लोकसभा में रखी जो लापता थे या पाकिस्तान द्वारा बंदी बना लिए गए थे, जिसमें २४ सदस्य इंडियन एयर फोर्स के थे।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित के पुत्र विपुल पुरोहित को मुलायम सिंह यादव की उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था और उन्हें मनोरंजन कर विभाग में सलाहकार नियुक्त किया गया था, ने सर्वोच्च न्यायालय में केस दायर किया था। इस अपील में उन्होंने मांग की थी कि पाकिस्तान की जेल में १९७१ के बंदियों को छुड़ाने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देशित किया जाए ताकि जेल से छूट सके।
मनोहर पुरोहित की पत्नी सुमन पुरोहित जून, २००७ में १३ सदस्यीय दल के साथ पाकिस्तान गई थी। सभी ने कराची, लाहौर, लखपत जेल सहित अन्य तमाम जेलों में जाकर पति मनोज पुरोहित के साथ अन्य ५४ भारतीय सेना अधिकारियों एवं सैनिकों की तलाश की, लेकिन पाकिस्तान की जेलों में पहले से ही सभी को हटा दिया गया था। उनको जो रिकॉर्ड दिखाया था, वह उर्दू में था और उर्दू पढ़ने के लिए उनके पास कोई कनवर्टर (अनुवादक) नहीं था। ऐसे में वह यह अभिलेख नहीं पढ़ पाई की आखिर में जो रिकॉर्ड दिखाया है, उसमें क्या लिखा है। वह 7 दिन पाकिस्तान में रही और भी मायूस होकर भारत लौट आई।[३][२][१][४][५][६][७]
संदर्भ
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