राजा धन मेर
राजा धन मेर उर्फ धांधल खांट गुजरात मे धंधुका के सूर्यवंशी क्षत्रिय कोली राजा थे।[१] इन्होंने ही गुजरात के धंधुका और धंधालपुर की स्थापना की थी एवं बसाया था। ये ठाकोर सोनांग मेर के पुत्र थे जो सिंध से गुजरात आए थे और खांट राजवंश की स्थापना की थी।[२][३][४] राजा धन मेर ने ही गुजरात में नाल सरोवर की स्थापना की थी।[५][६]
राजा धन मेर के १२ भाई थे जिनमे से पातल खांट ने पेटलाद की स्थापना की, जेशो खांट उर्फ जयसिंह मेर ने बिलखा चौबीसी पर राज किया, मेर राणा ने महीयारी गांव की स्थापनी की एवं नालण मेर ने नाल शरोवर की स्थापना की।[७]
ब्राह्मण की रक्षा
पास के ही वाला राज्य के राजपूत शासक इभल वालो ने अपने राज्य मे ब्राह्मण का जीना हराम किया हुआ। वह उन्हें लुटता और कभी भी न्याय संगत द्रिष्टी से नही देखता। इभल वालो के प्रकोप को देखते हुए ब्राह्मणों ने वाला राज्य छोड़ दिया और पड़ोसी राज्य धंधुका मे आ गये। जब धंधुका की सरकार को पता पता चला की ब्राह्मण पड़ोसी राज्य से यहां आ रहे है तो राजा धन मेर को सूचीत किया और सारा मामला समझने के बाद राजा ने ४०० ब्राह्मणों को धंधुका मे ही बसा दिया।[७][४]
वाला राज्य से लड़ाई
वाला राज्य के राजपूत शासक ने ब्राह्मणों पर अत्याचार जिसके कारण वो धंधुका मे आकर बस गए। इभल वालो की क्रुरता को देखते हुए राजा धन मेर ने वालो को मारने का प्रण लिया। राजा ने अपने गुरिल्ला सेना के साथ वाला राज्य पर आक्रमण कर दिया और इभल वालो को मारकर वाला राज्य को धंधुका मे सामिल कर लिया।[८]
संदर्भ
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