पेलिकन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>संजीव कुमार द्वारा परिवर्तित १६:०९, २२ दिसम्बर २०२१ का अवतरण (2409:4070:2D1B:6371:0:0:188:4403 (Talk) के संपादनों को हटाकर रोहित साव27 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पेलिकन

पेलिकन पृथ्वी के सबसे बड़े समुद्री पक्षियों में से एक है।उन्हें एक लंबी चोंच और एक बड़े गले की थैली की विशेषता होती है जिनकी सहायता से ये अपनी चोंच की थैली में पर्याप्त पानी और भोजन रख सकते है। पेलिकन लगातार अंतर्देशीय और तटीय जल पर मछलियाँ पकड़ते है। वे पानी के सतह पर उड़ अपनी विशेष चोंच को पानी से टकराकर अपना शिकार पकड़ते हैं। ये विशाल पक्षी अक्सर झुंडो में यात्रा और शिकार करते हैं। इनका प्रजनन करने का माध्यम समूहों में होता है। नर पक्षी का वजन 9 से 15 किलोग्राम तक होता है। इतना वजन होने के बावजूद यह मजबूत व तेज उड़ने वाला पक्षी है।

प्रवास

भारत में यह पक्षी उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों मुख्यत गुजरात में कच्छ व इसके आसपास काफी संख्या में आते हैं। ये मुख्यता साइबेरिया और पूर्वी यूरोप से जब यहां बर्फ पड़ने लगी है तो हजारों किलोमीटर उड़ान भरकर प्रजनन व भोजन के लिए भारत में आते हैं। शीत ऋतु की दस्तक के साथ ही इस पक्षी का भारत में आना आरंभ हो जाता है। यह पक्षी प्रवास के दौरान तीन हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक 'वी' आकार में उड़ कर यहां आते है।

प्रजनन

हवासील का प्रजनन का समय फरवरी से अप्रैल तक होता है। ये आमतौर पर पानी के किनारे मिट्टी व तिनके आदि एकत्रित कर बड़ा घोंसला बनाते है। एक ही जगह पर काफी संख्या में घोंसले होते है। गुजरात के कच्छ क्षेत्र में यह भी कब्जा कर लेते हैं। मादा दो से तीन अंडे देती है। नर व मादा मिल कर चूजों को पालते है। प्रजनन के समय नर पक्षी के चेहरे का रंग गुलाबी व मादा का रंग नारंगी जैसा होता है। ये पक्षी साफ पर्यावरण में ही रहना पसंद करते हैं। ये प्रदूषित झीलों से दूर चले जाते है। जमीन में घोसले होने से इसके अंडों व चूजों को कुछ शिकारी जानवर जैसे लोमड़ी व गीदड़ आदि खा जाते हैं। कई बार झीलों में तैरते हुए पक्षी मगरमच्छों का भी शिकार बन जाते है।

सन्दर्भ